भारतीय सेना को मिलेंगे 72 हजार असॉल्ट राइफल्स
नई दिल्ली। डेस्क: भारतीय सेना को जल्द ही अत्याधुनिक 72 हजार चार सौ असॉल्ट राइफलों और 93 हजार 895 क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन से लैस किया जाएगा. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इन हथियारों को खरीदने के लिए मंजूरी दे दी है. इनको भारत 3,547 करोड़ रुपये में खरीदेगा. रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में फास्ट ट्रैक आधार पर इन हथियारों को खरीदने का फैसला लिया गया.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ये असॉल्ट राइफलें और क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन भारतीय सेना की पुरानी इंसास (Indian New Small Arms System) राइफलों की जगह लेंगी. फिलहाल इनको खरीदने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी. INSAS राइफल भारतीय सेना का प्रमुख छोटा हथियार है. INSAS राइफल को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने साल 1990 में विकसित किया था. भारत अपनी सैन्य जरूरतों के मुताबिक हैंड गन नहीं बना पा रहा है, जिसके चलते इनको बाहर से खरीदना पड़ रहा है.
क्लोज क्वार्टर कार्बाइन शॉर्टर रेंज की एक खास तरह की राइफल है. नजदीक से दुश्मन का मुकाबला करने के लिहाज से यह बेहद अच्छा हथियार है. भारतीय सेना इंटीग्रेटेड साइट और लेजर डिजाइनेटर वाली राइफलें चाहती है. ऐसे में कार्बाइन और असॉल्ट राइफलें सेना की इस कमी को पूरा करेंगी. पिछले सप्ताह नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को असॉल्ट राइफलों से लैस किया जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा था कि पूरी भारतीय सेना को नई राइफलों की जरूरत है. सेना ने क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन को खरीदने की प्रक्रिया साल 2010 और असॉल्ट राइफल को खरीदने की प्रक्रिया साल 2011 में शुरू की थी, लेकिन जब यह मामला सामने आया कि इन राइफलों का टेंडर सिर्फ एक कंपनी को दिया गया, तो इसको पिछले साल रद्द कर दिया गया.
वहीं, रक्षा मंत्रालय ने भारत में रक्षा उपकरण के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट्स के लिए नियमों में ढील भी दी है. मेक इन इंडिया में ढील देने से निजी कंपनियां रक्षा क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगी. इससे पहले भारत में बनी स्वदेशी असॉल्ट राइफलों को भारतीय सेना ने रिजेक्ट कर दिया था. इसके बाद इनको खरीदने की नई प्रक्रिया शुरू की गई है.