जंगल सफारी में गैरकानूनी मगरमच्छ
रायपुर | संवाददाता: नया रायपुर के जंगल सफारी में गैरकानूनी तरीके से जानवरों को लाये जाने पर सवाल उठ रहे हैं. वन विभाग द्वारा यहां जानवरों को अवैध और गैरकानूनी तरीके से लाया गया और चर्चा है कि इस प्रक्रिया में दो मगरमच्छों की मौत भी हो गई. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.
जंगल सफारी में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं और करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच भी चल रही है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने रायपुर के जिस जंगल सफारी का उद्घाटन किया गया, वहां जानवरों को गैरकानूनी तरीके से लाये जाने का मामला सामने आया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नवंबर को ही नया रायपुर के इस जंगल सफारी का उद्घाटन किया है.
जंगल सफारी के सूत्रों के अनुसार नया रायपुर के जंगल सफारी में क्रोकोडायल पार्क तो बना दिया गया लेकिन संकट ये हुआ कि क्रोकोडायल कहां से लाया जाये.
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ऐसे में वन विभाग ने वन्य जीव कानून को ताक पर रख कर कोटमीसोनार से मगरमच्छ लाने का निर्णय लिया और वहां से बिना किसी अनुमति के, गैरकानूनी तरीके से मगरमच्छों को लाकर जंगल सफारी में डाल दिया.
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अनुसार किसी अभयारण्य, संरक्षित वन या संरक्षित वन क्षेत्र से किसी जानवर को पकड़ कर नहीं लाया जा सकता. कोटमीसोनार संरक्षित क्षेत्र है, जहां 180 के आसपास मगरमच्छ हैं. जंगल सफारी के अधिकारियों ने नियम को ताक पर रख कर यहां से मगरमच्छ पकड़े और उन्हें जंगल सफारी में रख दिया.
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इसके लिये न तो अनुमति दी जा सकती है और ना ही अनुमति दी गई. स्थानीय स्तर पर छोटे अधिकारियों ने निर्णय लिया और फिर गैरकानूनी तरीके से मगरमच्छों को पकड़ कर जंगल सफारी ले आया गया.
इधर कुछ ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारी कई बार कोटमीसोनार पहुंचे और वहां से मगरमच्छों को रायपुर लाने के क्रम में दो मगरमच्छों की मौत भी हो गई. लेकिन इस पूरे मामले को छुपा दिया गया. हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है. यहां तक कि एकाध अवसर पर जब मगरमच्छों के लिये वन विभाग के अधिकारी कोटमीसोनार पहुंचे तो वहां उन्हें ग्रामीणों का भी विरोध झेलना पड़ा.
सीजी खबर ने पूरे मामले पर सरकारी पक्ष जानने के लिये वन मंत्री समेत दूसरे अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन उनका पक्ष हमें नहीं मिल पाया.