राहुल कांग्रेस के पीएम इन वेटिंग?
नई दिल्ली | समाचार डेस्क:भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस 17 जनवरी को राहुल गांधी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है.. 17 जनवरी 2014 को दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक आयोजित की गई है. इस बात के पूरे आसार है कि कांग्रेस राहुल गांधी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दे. जयपुर में आयोजित पिछले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाना गया था.
8 दिसंबर को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा दिल्ली विधानसभा के नतीजे में कांग्रेस बुरी तरह पिछड़ गयी. उसी दिन शाम को सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा था कि देश की जनता क्या चाहती है हम समझ गये हैं और सही मौके पर एक उम्मीदवार का नाम घोषित किया जायेगा. तभी से यह कयास लगाये जा रहें हैं कि कौन कांग्रेस से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होगा. कुछ समय पहले ही आधार योजना के कर्ताधर्ता नंदन नीलकेणी का नाम मीडिया में आया था परन्तु उन्होंने इसे कोरी बकवास करार दिया था.
हालांकि कांग्रेस में प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति बन जाने के बाद से चिदंबरम का नाम भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में लिया जा रहा है परन्तु पूरे देश को मालूम है कि कांग्रेस में अभी भी वंश परंपरा जीवित है. इस कारण राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद पर के उम्मीदवार बनाये जाने की संभावना ही नही वरन् पूरी गारंटी है. वैसे भी कांग्रेस में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के लिये अंदर से आवाज़ उठती रही है. तब सोनिया गांधी ने कांग्रेस की परंपरा का हवाला देते हुए कहा था कि कांग्रेस में नेता पद का चुनाव विधायक तथा सांसद करते हैं.
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रस की करारी हार का यह प्रमुख कारण है कि छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री की घोषणा नही की गई थी. जनता के सामने इस बात को लेकर दोनों राज्यों में भ्रम की स्थिति थी कि कौन बनेगा मुख्यमंत्री. राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार इन दो राज्यों में कांग्रेस की हार का यह प्रमुख कारण यही था. अन्यथा कम से कम छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस की सरकार बनने जा रही ऐसा ही माना जा रहा था. लगता है कि कांग्रेस ठोकर खाकर कुछ सीखी है तभी 17 जनवरी 2014 को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने जा रही है.
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि भाजपा के जीत का एक कारण उसका प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा है. अब जमाना बदल गया है तथा जनता नेतृत्व को वोट देती है नेता विहीन दल को नहीं. वोट लेने के लिये साहस के साथ अपने नेता की घोषणा करनी पड़ती है पर्दे के पीछे से जनता से वोट नहीं लिया जा सकता है. देर से ही सही काग्रेस को अपनी गलती का एहसास हो गया है.
अब सबको 17 जनवरी 2014 का इंतजार रहेगा कि कांग्रेस किसे अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करती है. वैसे कांग्रेसियों की दिली इच्छा है कि राहुल गांधी कहे मैं बनूगा प्रधानमंत्री. भाजपा के नरेन्द्र मोदी से टक्कर लेने के लिये राहुल गांधी को खुलकर राजनीति के मैदान में आना पड़ेगा तभी कांग्रेसी कुछ उम्मीद कर सकते हैं.
राहुल गांधी
राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को हुआ था. वर्तमान में वे उत्तरप्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. पिछले ही वर्ष उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुना गया था. राहुल को 2009 के आम चुनावों में कांग्रेस को मिली बड़ी जीत का श्रेय दिया गया है. उनकी राजनैतिक रणनीतियों में जमीनी स्तर की सक्रियता को बल देना, ग्रामीण भारत के साथ गहरे संबंध स्थापित करना और कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश करना, प्रमुख हैं.
स्नातक की पढ़ाई के बाद राहुल ने प्रबंधन गुरु माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी मॉनीटर ग्रुप के साथ 3 साल तक काम किया था. इस दौरान उनकी कंपनी और सहकर्मी इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे कि वो किसके साथ काम कर रहे हैं क्योंकि राहुल यहां एक छद्म नाम रॉल विंसी के नाम से कार्य करते थे. राहुल के आलोचक उनके इस कदम को उनके भारतीय होने से उपजी उनकी हीनभावना मानते हैं जबकि, कांग्रेसी उनके इस कदम को उनकी सुरक्षा से जोड़कर देखते हैं. सन 2002 के अंत में वो मुंबई में स्थित एक अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी से संबंधित आउटसोर्सिंग कंपनी बैकअप्स सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों में से एक बन गये थे.
मार्च 2004 में, मई 2004 का चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उन्होंने राजनीति में अपने प्रवेश की घोषणा की थी, जिसमें वे अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा के लिए खड़े हुए थे, जो भारत की संसद का निचला सदन है. इससे पहले, उनके चाचा संजय गांधी ने, जो कि एक विमान दुर्घटना के शिकार हुये थे ने इसी क्षेत्र का नेतृत्व किया था.