राष्ट्र

दलित छात्र की खुदकुशी, मंत्री पर आरोप

हैदराबाद | समाचार डेस्क: हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित छात्र की खुदकुशी का आरोप केन्द्रीय मंत्री पर लगाया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि हैदराबाद विश्विद्यालय के छात्रावास से निकाले गए पांच दलित छात्रों में से एक ने रविवार को खुदकुशी कर ली है. जिसके बाद से हैदराबाद यूनिवर्सिटी में तनाव की स्थिति है. विश्वविद्यालय के छात्र घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने छात्र द्वारा उठाए गए इस जानलेवा कदम के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और भारतीय जनता पार्टी के नेता बंडारू दत्तात्रेय को जिम्मेदार ठहराया.

उनका आरोप है कि पिछले साल अगस्त में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं से झड़प के कारण उन्हें निकाला गया. प्रदर्शनकारी छात्रों ने मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए लेने पहुंची पुलिस को भी रोकने का प्रयास किया. वे ‘पुलिस लौट जाओ’ के नारे लगा रहे थे. उन्होंने शव को कमरे में बंद कर दिया. हालांकि पुलिस वहां तक पहुंचने में कामयाब रही और शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंचाया.

खुदकुशी करने वाले छात्र की पहचान रोहित वेमुला के रूप में की गई है. बताया जाता है कि उसने रविवार शाम फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली.

छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए विश्वविद्यालय परिसर में हिंसक घटना को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई है. विश्वविद्यालय के दलित वामपंथी छात्रों ने बंद का आह्वान किया है.

छात्र कुलपति पी. अप्पा राव और केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बंडारू दत्तात्रेय के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. आरोप है कि इन दोनों की मिलीभगत से ही अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के पांच छात्रों को निष्कासित किया गया.

विभिन्न छात्र समूहों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने कहा कि वेमुला छात्रावास से निलंबन और निष्कासन के कारण काफी निराश था. उसका सामाजिक बहिष्कार भी कर दिया गया था, जिसके कारण वह हताश हो गया था.

वेमुला विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं समाज अध्ययन विभाग में द्वितीय वर्ष का छात्र था. वह न्यू रीसर्च स्कॉलर्स छात्रावास के एक कमरे में फांसी के फंदे से लटकता मिला. उसने एएसए के नीले रंग के बैनर का इस्तेमाल फंदे के लिए किया. उसके कमरे से पांच पन्नों का एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उसने लिखा है कि कैसे वह हमेशा सितारों को देखता था और एक दिन लेखक तथा प्रतिष्ठित शिक्षक बनने का सपना देखता था.

आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले से संबंध रखने वाला वेमुला को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से जूनियर रिसर्च फैलोशिप भी प्राप्त हुआ था. लेकिन अपने सुसाइड नोट में उसने लिखा है कि पिछले छह महीने से उसे जूनियर रिसर्च फैलोशिप फंड भी नहीं मिला.

वेमुला अपने साथ निष्कासित हुए चार अन्य छात्रों के साथ पिछले 15 दिनों से विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहा था. छात्रावास से निष्कासन के विरोध में वे खुले में सो रहे थे. रविवार को वेमुला एनआरएस छात्रावास के कमरे में गया था, जहां वह शाम 7.30 बजे कमरे में फांसी के फंदे से लटकता मिला.

इन पांचों छात्रों को पिछले साल अगस्त में अभाविप के कार्यकर्ताओं से झड़प के बाद निलंबित कर दिया गया था. यह सब दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘मुजफ्फरनगर बाकी है’ वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग पर अभाविप के हमले के बाद शुरू हुआ. एएसए ने अभाविप के इस कदम की निंदा करते हुए इसके विरोध में परिसर में प्रदर्शन किया था.

इन शोधार्थियों को उनके छात्रावास से दिसंबर में निष्कासित कर दिया गया था. उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में स्थित छात्रावासों और अन्य इमारतों में जाने से रोक दिया गया था. उन्हें सिर्फ अपने विषय से संबंधित कक्षा, पुस्तकालय, सम्मेलनों और कार्यशालाओं में जाने की अनुमति थी.

उन्हें उनके कमरों से जनवरी में निकाल दिया गया था, जिसके बाद वे विश्वविद्यालय परिसर में ही बने शिविर में सोने के लिए मजबूर थे.

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