मोदी-ओबामा वार्ता से नई उम्मीदें: विशेषज्ञ
वाशिंगटन | एजेंसी: भारत के प्रधानमंत्री मोदी तथा अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की वार्ता से विशेषज्ञो को बड़ी उम्मीदें हैं. अमरीका में पूर्ववर्ती क्लिंटन सरकार के अधिकारी सहित कई नीति विशेषज्ञ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाशिंगटन दौरे को दोनों देशों के बीच के संबंध को अगले स्तर पर ले जाए जाने के अवसर के रूप में देख रहे हैं.
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के मौजूदा अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में उप विदेश मंत्री रह चुके स्ट्रॉब टालबट ने एक लेख में लिखा है, “ओबामा प्रशासन भी भारत में मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार को दोनों देशों के बीच के संबंध को अगले स्तर पर ले जाए जाने के अवसर के रूप में देखता है.”
1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद भारत को अलग-थलग कर दिया गया था और इस स्थिति की समाप्ति के लिए टालबट ने तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह के साथ वार्ता की थी.
टालबट ने ब्रुकिंग्स की भारतीय परियोजना निदेशक तन्वी मदान के साथ भारत-अमरीका नीति से संबंधित ज्ञापन में आगे की चुनौतियों और अवसरों का जिक्र किया है.
उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ओबामा वैश्विक समुदाय के साथ सक्रिय रूप से खड़ा रहने वाले मजबूत, विकसित और समावेशी भारत को देखना चाहेंगे, जिसका वादा प्रधानमंत्री मोदी ने किया है.”
टालबट एवं मदान के अनुसार, “प्रशासन ने इस बात को फिर दोहराया है कि भले ही भारत और अमरीका हमेशा एकमत न रहें हों, लेकिन भारत का विकास निश्चत रूप से 21वीं सदी में शांति, प्रगति और उन्नति के लिए एक सकारात्मक संकेत है.”
उन्होंने कहा, “इससे दोनों ही तरह कदम उठाए जाएंगे, जैसा कि हिंदी में कहते हैं, कि ‘ताली एक हाथ से नहीं बजती’. इसमें समझौता भी करना होगा तथा दूसरे तरफ की बाधा को धैर्य के साथ समझना होगा.”
इधर, ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के ही ग्लोबल इकोनोमी एंड डेवलपमेंट फेलो डॉ. जोशुआ मल्टजर इस बात पर जोर देते हैं कि आर्थिक संबंध में प्रभावशाली प्रगति होने के बावजूद सुधार के लिए गुंजाइश बाकी है.
उन्होंने कहा कि भारत और अमरीका के लिए व्यापार और निवेश के क्षेत्र में संबंध को बढ़ावा देने के लिए विशेष अवसर मौजूद हैं.