स्वास्थ्य

फंगस का इलाज शहद

लंदन | समाचार डेस्क: मानना पड़ेगा कि भारत का परंपरागत ज्ञान कई मायनों में आज भी फायदा पहुंचा सकता है. भारत में पुराने समय से ही शहद का उपयोग मुख के इंफेक्शन में किया जाता रहा है. छोटे बच्चों को उसकी दादी-नानी मुंह में अल्सर के समान कुछ दिखने पर वहां पर शहद लगा दिया करती थी. आमतौर पर छोटे बच्चों के मुंह में फंगल इंफेक्शन हो जाता है. इसलिये वहां पर शहद लगाना राहत पहुंचाता है. हाल ही में ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने शहद के इस्तेमाल से पैथोजेनिक फंगस को नष्ट करने की खोज की है. फंगस के संक्रमण से कई गंभीर बीमारियां होती हैं, जिसमें से कई जानलेवा होती हैं. हालांकि विभिन्न बीमारियों के इलाज में शहद का प्रयोग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है. मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह खोज की है. उन्होंने पाया कि फंगल पर शहद के बेहद कम मात्रा का भी काफी असर होता है. इससे भविष्य में फंगस से होने वाली बीमारियों के शिकार मरीजों के लिए नई दवाईयों का निर्माण किया जा सकेगा.

फंगस के कारण कई गंभीर बीमारियां होती है जो लंबे समय तक लाइलाज रहती है. मनुष्यों में पाए जाने वाले 60 से 80 फीसदी बीमारियां फंगस के कारण ही होती हैं.

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के शोध छात्र जैन हबीब अलहिन्दी ने बताया, “इस शोध में हमने शहद के चिकित्सीय गुणों की खोज की. इसमें हमने पाया कि कई फंगसरोधी दवाओं के मुकाबले शहद कहीं ज्यादा प्रभावी है.”

उन्होंने बताया कि इस शोध से फंगस संक्रमण की चिकित्सा में शहद के प्रयोग को लेकर कई सारे नए शोध को बढ़ावा मिलेगा.

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