हेमंत बने मुख्यमंत्री नंबर 9
रांची | प्रभात खबर: हेमंत सोरेन ने शनिवार को झारखंड के नौवें मुख्यमंत्री के रूप शपथ ली. उन्हें राज्यपाल सैयद अहमद ने शपथ दिलायी. हेमंत सोरेन ने हिंदी में शपथ ली. हेमंत के बाद कांग्रेस नेता राजेंद्र सिंह और राजद नेत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी शपथ ली. खबर है कि हेमंत सोरेन ने आज कैबिनेट की बैठक भी बुलायी है.
राज्यपाल ने हेमंत सोरेन को 20 जुलाई तक सदन में अपना बहुमत सिद्ध करने को कहा है. झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र 16 जुलाई से शुरू होगा. विपक्षी भाजपा ने हेमंत सोरेन का विरोध करने के लिए काला दिवस मनाने की घोषणा की है. हालांकि हेमंत सोरेन के लिए यह ताजपोशी चुनौतीपूर्ण है.
हेमंत सोरेन 37 वर्ष के हैं और उन्होंने बीआईटी मेसरा से स्नातक किया है. उन्हें सियासत विरासत में मिली है क्योंकि वे शिबू सोरेन के पुत्र हैं. पृथक झारखंड बनने के बाद 13 साल से भी कम समय में नौवें मंत्रिमंडल की अगुवाई कर रहे हेमंत पांचवें आदिवासी मुख्यमंत्री हैं.
झारखंड 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया था और तब से इसकी कमान चार आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी (एक बार), अर्जुन मुंडा (तीन बार), शिबू सोरेन (तीन बार) और मधु कोड़ा (एक बार) संभाल चुके हैं. इससे पहले राज भवन को राज्य में केंद्रीय शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति की सहमति के बारे में आधिकारिक पत्र मिला. तत्पश्चात राज्यपाल ने सोरेन को शपथ ग्रहण समारोह के लिए बीती देर रात आमंत्रित किया.
झामुमो विधायक दल के नेता सोरेन ने कांग्रेस, राजद, छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के साथ गंठबंधन कर सरकार बनाने के लिए 9 जुलाई को दावा किया था. उन्होंने 82 सदस्यीय विधानसभा में 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने का दावा करते हुए राज्यपाल को इन विधायकों के नामों की सूची सौंपी थी. समझा जाता है कि सदन में विश्वास मत हासिल करने के बाद वह मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे. राज्य में छह माह पहले राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था जिसकी अवधि 18 जुलाई को खत्म होनी थी.
झामुमो ने अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में भाजपा नीत सरकार से 8 जनवरी को समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद 18 जनवरी को झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था. प्रदेश में झामुमो ने भाजपा को 11 सितंबर 2010 को समर्थन दिया था और उन दिनों राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन इस समर्थन के बाद समाप्त हो गया था. इससे पहले 24 मई 2010 को शिबू सोरेन नीत गठबंधन से भाजपा ने खुद को अलग कर दिया था क्योंकि उस साल लोकसभा में एक प्रस्ताव के दौरान झामुमो ने संप्रग के पक्ष में मतदान किया था. भाजपा के शिबू सोरेन नीत गंठबंधन से खुद को अलग करने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. नवंबर दिसंबर 2009 में झारखंड में संपन्न विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश मिलने के बाद यह तीसरी सरकार गठित हुई है.
10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के दूरस्थ गांव नेमरा में शिबू सोरेन के दूसरे पुत्र हेमंत सोरेन का जन्म हुआ. उस समय पिता शिबू और मां रूपी सोरेन ने कल्पना भी नहीं की होगी कि एक दिन उनका बच्चा बड़ा होकर सत्ता के शिखर पर पहुंचेगा.
उस समय तो यह भी पता नहीं था कि बिहार से अलग होकर झारखंड को राज्य का दरजा मिल सकता है. उस समय शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में अपनी पहचान बना चुके थे. कई बार उन्हें छिप कर रहना पड़ता था.
जब हेमंत का जन्म हुआ, उस समय भी शिबू घर पर नहीं थे. कहा जाता है कि पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं. हेमंत बचपन में खेलकूद में आगे रहते थे. वह अपने ग्रुप के बच्चों को लीड करते थे. लीडरशिप का गुण बचपन में ही दिखाई देने लगा था. दिशोम गुरु शिबू सोरेन की जगह लेने जा रहे हेमंत सोरेन नयी पीढ़ी के नेता बन गये हैं