संबद्ध स्वास्थ्य सेवाओं का मानकीकरण
नई दिल्ली | एजेंसी: देश में स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में फीजियोथेरेपिस्ट, विकिरण चिकित्सा विशेषज्ञ एवं जांच का परीक्षण करने वाले विशेषज्ञ, जैसे स्वास्थ्य सेवा से संबद्ध विशेषज्ञों की भूमिका के महत्व को देखते हुए सरकार ने इनके लिए उचित मानक स्थापित करने एवं उनकी गुणवत्ता के विकास के लिए एक पृथक बोर्ड स्थापित करने का फैसला किया है.
राष्ट्रीय संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान बोर्ड का उद्देश्य भौतिक चिकित्सा, नेत्र परीक्षण, चिकित्सा प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी, रेडियोग्राफी एवं इसी तरह के अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के अध्ययन एवं पाठ्यक्रमों का मानकीकरण करना है.
एक अध्ययन के अनुसार, देश में स्वास्थ्य से जुड़े 64 लाख विशेषज्ञों की कमी है. देश में जो भी नियामक बोर्ड या परिषद हैं, वे सिर्फ चिकित्सकों, दंत चिकित्सकों, परिचारिकाओं एवं दवा विक्रेताओं के लिए हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव विश्वास मेहता ने बताया, “स्वास्थ्य मंत्रालय सिद्धांतत: संबद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए एक राष्ट्रीय बोर्ड स्थापित करने पर सहमत है.”
भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य फाउंडेशन ने पिछले वर्ष स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपे एक रिपोर्ट में इस बोर्ड को स्थापित करने के लिए एक अंतरिम रूपरेखा पेश की है.
मेहता ने बताया कि इस बोर्ड का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रतिदिन सेवा प्रदान करने वाले मानक कार्यक्षमता एवं गुणवत्तायुक्त संबद्ध स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों का विकास करना है, जिससे विशेषज्ञ चिकित्सकों को बीमारियों की पहचान करने, मरीजों का उपचार करने एवं ऑपरेशन करने का अधिक अवसर एवं समय मिलेगा.
पीएचएफआई की अस्पताल प्रणाली इकाई की अध्यक्ष एवं परियोजना प्रभारी कविता नारायण ने बताया कि संबद्ध स्वास्थ्य सेवाओं के नियमन में इतने लंबे अंतराल की वजह व्यापक नियामक रूपरेखा की कमी एवं देश में संबद्ध स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों के विकास एवं लाइसेंस के लिए किसी राष्ट्रीय मानक का अभाव रहा है.
उन्होंने आगे बताया, “अब समय आ गया है कि देश में विशाल संख्या में मौजूद संबद्ध स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण एवं मानक स्थापित किए जाएं.”
मेहता ने भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाना सार्वजनिक हित में अब जरूरी हो गया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपे गए पीएचएफआई की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 64 लाख संबद्ध स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों की कमी है. इसमें भी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार और आंध्र प्रदेश में इन विशेषज्ञों की कमी सर्वाधिक है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस कमी को पाटने के लिए देशभर में संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान से संबंधित एक राष्ट्रीय एवं आठ क्षेत्रीय स्तर के संस्थान स्थापित करेगा.