वकील ने कहा-विदेशी फंडिंग का आरोप छत्तीसगढ़ विधानसभा का अपमान
बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में खदानों को वन अनुमति देने के ख़िलाफ़ पहली याचिका लगाने वाले अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने विदेशी फंडिग के दुष्प्रचार का करारा जवाब दिया है. उन्होंने आरोपों को अपमानजनक बताते हुए पूछा है कि क्या पूरी की पूरी छत्तीसगढ़ विधानसभा ने विदेशी फंडिंग के कारण हसदेव अरण्य में खनन के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया था?
उन्होंने कहा कि स्वयं अदानी समूह विदेश से काला धन लाने के आरोपों में घिरा हुआ है, इसलिए एक भ्रामक और झूठा प्रचार, हसदेव बचाओ आंदोलन के खिलाफ कर रहा है.
सुदीप श्रीवास्तव ने ब्योरा देते हुए बताया के वे स्वयं अधिवक्ता है और 2012 से इस क्षेत्र में खदानों की अनुमति का विरोध कर रहे हैं और लगातार एनजीटी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इसके संबंध में याचिका लगा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हसदेव क्षेत्र का जंगल जो लगभग 1800 वर्ग किलोमीटर का है, हसदेव बांगो बांध का प्राथमिक जल ग्रहण क्षेत्र है और इसके कारण ही छत्तीसगढ़ के जांजगीर रायगढ़ बिलासपुर कोरबा जिले में सिंचाई और पानी की सप्लाई है . ऐसे महत्वपूर्ण जल ग्रहण क्षेत्र को खनन करके बर्बाद करने से भविष्य में पानी की समस्या विकराल रूप लेगी. इसके अलावा इस क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर 400 से 500 पेड़ है अर्थात एक खदान पीई के बी में ही 5 लाख से अधिक पेड़ है.
राजस्थान विद्युत उत्पादन मंडल और अडानी समूह द्वारा संचालित खदानों में 10 लाख से अधिक पेड़ों का कटाई होना प्रस्तावित है. इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई और खुली खदान खुलने से मिट्टी का क्षरण होगा और बांध में तेजी से मिट्टी आएगी, जिसके कारण हसदेव बांगो बांध की क्षमता घट जाएगी.
यही नहीं पूरा इलाका मानव हाथी द्वंद से पीड़ित है और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की रिपोर्ट में भी कहा है कि खनन बढ़ने से इस इलाके में और आसपास के इलाकों में मध्य प्रदेश तक में मानव हाथी द्वंद की समस्या बढ़ेगी.
सुदीप श्रीवास्तव ने सवाल उठाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की विधानसभा ने 26 जुलाई 2022 को इस मामले पर विस्तृत चर्चा कर विधायक धर्मजीत सिंह द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव और अशासकीय संकल्प कि “हसदेव क्षेत्र में खदानों का आवंटन रद्द किया जाए” को सर्वसम्मति से पास किया था. इसमें सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के अलावा उस समय प्रतिपक्ष में रही भारतीय जनता पार्टी के विधायक और बसपा के विधायकों का भी समर्थन था. क्या छत्तीसगढ़ विधानसभा की सामूहिक समझ, छत्तीसगढ़ के हित में न होकर किसी विदेशी फंडिंग के कारण हो रही थी? उन्होंने कहा कि ऐसा आरोप लगाना पूरे छत्तीसगढ़ की विधानसभा और साथ ही साथ जनमानस का अपमान है.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुदीप ने कहा कि इसी तरह वन पर्यावरण मंत्रालय की प्रतिष्ठित संस्था वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने 2 साल के सघन अध्ययन के बाद इस इलाके को संरक्षित करने की सिफारिश की. तो क्या वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया भी विदेशी फंडिंग से संचालित है? क्या ऐसा आरोप लगाकर भारत सरकार की स्वायत्त संस्था पर एक गलत आरोप नहीं मढ़ा जा रहा है ?
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के लाखों लोग इस आंदोलन के समर्थन में है. इसके संबंध में सैकड़ो गीत बनाए गए हैं. हजारों लोगों ने आंदोलन में अलग-अलग समय में भागीदारी की है. बस्तर से लेकर सरगुजा तक के लोग हसदेव क्षेत्र को बचाने के लिए सामने आए हैं. तो क्या सारे के सारे छत्तीसगढ़ के लोग और छत्तीसगढ़िया मानस, किसी विदेशी फंडिंग से संचालित है ?
अधिवक्ता श्रीवास्तव ने कहा कि वस्तुत: खदान से केवल एक ही व्यक्ति को लाभ हो रहा है वह है अडानी समूह. राजस्थान को बिजली और कोयला महंगे में मिल रहा है, छत्तीसगढ़ का वन पर्यावरण और जल ग्रहण क्षेत्र का नाश हो रहा है. श्रीवास्तव ने कहा कि स्वयं अदानी समूह विदेश से काला धन लाने के आरोपों में घिरा हुआ है, इस लिए एक भ्रामक और झूठा प्रचार आंदोलन के खिलाफ कर रहा है.
सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि इस दुष्प्रचार से कोई विचलित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि देश हित और छत्तीसगढ़ हित में हसदेव को बचाने की अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और साथ ही पूरा छत्तीसगढ़ भी इस लड़ाई में साथ रहेगा.