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हसदेव में पेड़ कटाई का विरोध, सुप्रीम कोर्ट में भी चर्चा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में आदिवासियों के विरोध के बीच पीईकेबी खदान के दूसरे चरण के लिए 74 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की तैयारी हो गई है. इधर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को भी पेड़ों की कटाई की जानकारी दी गई.

हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई के लिए शुक्रवार को सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था. प्रभावित गांव के लोगों ने रैली निकाल कर कटाई का विरोध किया.

आदिवासी महिलाएं और नौजवान बड़ी संख्या में इस रैली में शामिल थे.

आदिवासियों का कहना था कि फर्जी ग्रामसभा के आधार पर सारी मंजूरी दी गई है. यहां तक कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी एक भी खदान खोलने पर हाथी-मानव संघर्ष के भयावह होने की चेतावनी दी है.

आदिवासियों ने कहा कि राज्य की विधानसभा ने सर्वसम्मति से हसदेव की सारी ख़दानों को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया है. इसके बाद भी पेड़ों की कटाई भयावह है.

पेड़ों की कटाई का विरोध करने पहुंचे आदिवासियों के साथ पुलिस की झड़प भी हुई. इसके बाद सभी लोगों को हिरासत में ले कर उन्हें बसों में भर कर दरिमा स्थित एक स्कूल में ले जाया गया.


मौके पर उपस्थित छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि अडानी को लाभ पहुंचाने के लिए, छत्तीसगढ़ के जंगल को उजाड़ा जा रहा है.

मौके पर पहुंचे ज़िले के कलेक्टर और एसपी ने कहा कि सोमवार को इस मुद्दे पर कलेक्टोरेट में एक बैठक बुलाई गई है. जहां इस पर विस्तार से चर्चा होगी.

सुप्रीम कोर्ट में उठा मामला

सुप्रीम कोर्ट में हसदेव अरण्य के दो मामले लंबित हैं.

इनमें एक मामला परसा ईस्ट केते बासन खदान की स्वीकृति को लेकर है, वहीं दूसरा मामला घाटबर्रा में सामुदायिक वन अधिकार को निरस्त करने के मसले से जुड़ा हुआ है.

शुक्रवार को जाने-माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण और चंदर उदय सिंह ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस मसले को उठाया.

माना जा रहा है कि सोमवार को इस मामले की सुनवाई हो सकती है.

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