युद्ध के खिलाफ गुरमेहर कौर
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: डीयू की छात्रा गुरमेहर कौर का विरोध क्यों हो रहा है? गुरमेहर कौर का आरोप है कि एबीवीपी का विरोध करने पर उसे कथित तौर पर रेप की धमकी दी गई है. हालांकि, उसके बाद उसे पुलिस सुरक्षा मुहैय्या करा दी गई है परन्तु लाख टके का सवाल है कि गुरमेहर कौर का इतना विरोध क्यों किया जा रहा है. क्या महज इसलिये कि उसने छात्र संगठन एबीवीपी का विरोध किया है या इसलिये कि युद्ध का विरोध किया है.
दरअसल, गुरमेहर कौर ने सालभर पहले युद्ध का विरोध करते हुये यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड किया था. जिसमें उसने युद्ध का विरोध किया था. गुरमेहर कौर कारगिद युद्ध की शहीद मनदीप सिंह की बेटी हैं.
दिल्ली के रामजस कॉलेज में दो विचारधाराओं के बीच शुरु हुआ विवाद अब आकर दिल्ली की लेडी श्रीराम कॉलेज की 22 वर्षीय छात्रा गुरमेहर कौर पर आकर केन्द्रित हो गया है. गुरमेहर कौर ने फेसबुक पेज पर अपना एक फोटो पोस्ट किया जिसमें लिखा था, ”मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा हूं. मैं एबीवीपी से नहीं डरती. मैं अकेली नहीं हूं. भारत का हर छात्र मेरे साथ है. #StudentsAgainstABVP”
इससे जितना विवाद नहीं मचा उससे ज्यादा गुरमेहर कौर के एक साल पुराने वीडियो को लेकर मचा है. जिसमें वो एक प्लेकार्ड लिए खड़ी हैं. इस पर अंग्रेज़ी में लिखा है, ”पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है.” उसके बाद से गुरमेहर कौर को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है.
इस विवाद में पूर्व क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग भी कूद पड़े तथा सोशल मीडिया के हवाले से कहा, ”मैंने दो तिहरे शतक नहीं लगाये, बल्कि मेरे बल्ले ने ऐसा किया.”
दिल्ली के रामजस कॉलेज का विवाद वामपंथी छात्र संगठन तथा एबीवीपी के बीच हुआ है. गुरमेहर कौर ने कहा है कि मैं एबीवीपी से नहीं डरती. देश में ऐसे कई लोग हैं जो एबीवीपी से नहीं डरते हैं. कई कॉलेज की छात्रायें एबीवीपी का विरोध करती हैं. लेकिन गुरमेहर कौर के एक साल पुराना जो वीडियो वायरल हुआ है वह दरअसल, युद्ध के खिलाफ एक मार्मिक अपील है.
सबसे बड़ी बात है कि उसमें एक शहीद की बेटी युद्ध का विरोध कर रही है तथा शांति की मांग कर रही है. इस वीडियो में गुरमेहर कौर ने बड़े ही प्रभावशाली ढ़ंग से बिना बोले, केवल प्ले कार्ड के माध्यम के माध्यम से युद्ध के खिलाफ बात की है. आइये जानते हैं कि गुरमेहर की जिस लाइन पर इतना हंगामा मचा है, उसका पूरा मतलब क्या है और इसमें क्या-क्या लिखा है.
“मैं भारत के जालंधर शहर की रहने वाली हूं. ये मेरे पिता कैप्टन मनदीप सिंह हैं. वो 1999 के कारगिल युद्ध में मारे गये थे. मैं दो साल की थी, जब उनका निधन हुआ. उनसे जुड़ी बहुत कम यादें हैं मेरे पास. पिता नहीं होते तो कैसा महसूस होता है, इसकी ज़्यादा यादें हैं मेरे पास. मुझे याद है कि मैं पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से कितना नफ़रत करती थी, क्योंकि उन्होंने मेरे पिता को मारा था. मैं मुसलमानों से भी नफ़रत करती थी, क्योंकि मैं सोचती थी कि सभी मुस्लिम पाकिस्तानी होते हैं. जब मैं छह साल की थी तो बुर्का पहनी एक महिला को चाकू मारने की कोशिश भी की. किसी अनजान वजह से मुझे लगा कि उसने मेरे पिता को मारा होगा. मेरी मां ने मुझे रोका और समझाया कि. पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है. वक़्त लगा लेकिन आज मैं अपनी नफ़रत को ख़त्म करने में कामयाब रही. ये आसान नहीं था लेकिन मुश्किल भी नहीं था. अगर मैं ऐसा कर सकती हूं तो आप भी कर सकती हैं. आज मैं भी अपने पिता की तरह सैनिक बन गई हूं. मैं भारत-पाकिस्तान के बीच अमन के लिए लड़ रही हूं. क्योंकि अगर हमारे बीच कोई जंग ना होती, तो मेरे पिता आज ज़िंदा होते. मैंने ये वीडियो इसलिये बनाया ताकि दोनों तरफ़ की सरकारें दिखावा करना बंद करें. और समस्या का समाधान दें. अगर फ़्रांस और जर्मनी दो विश्व युद्ध के बाद दोस्त बन सकते हैं. जापान और अमरीका अतीत को पीछे छोड़ आगे देख सकते हैं. तो हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? ज़्यादातर भारत और पाकिस्तानी शांति चाहते हैं, जंग नहीं. मैं दोनों देशों के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा रही हूं. हम तीसरे दर्जे के नेतृत्व के साथ पहले दर्जे का मुल्क़ नहीं बन सकते. प्लीज़ तैयार हो जाइये. एक-दूसरे से बातचीत कीजिये और काम पूरा कीजिये. स्टेट प्रायोजित आतंकवाद बहुत हो चुका. स्टेट प्रायोजित जासूस बहुत हुये. स्टेट प्रायोजित नफ़रत बहुत हुई. सरहद के दोनों तरफ़ कई लोग मारे जा चुके हैं. बस, बहुत हुआ. मैं ऐसी दुनिया चाहती हूं, जहां कोई गुरमेहर कौर ना हो, जिसे अपने पिता की याद सताती हो. मैं अकेली नहीं. मेरे जैसे कई हैं.”
GurMehar Kaur Soldier of peace
गौर से देखने पर गुरमेहर कौर का वीडियो युद्ध के खिलाफ एक मार्मिक अपील है. जिसमें तर्क दिया गया है कि जब फ्रांस और जर्मनी दोस्त बन सकते हैं, जापान और अमरीका एक साथ आगे बढ़ सकते हैं तो भारत-पाकिस्तान क्यों नहीं.
गुरमेहर कौर न तो वामपंथी है और न ही मानवाधिकार के लिये आवाज़ उठाने वाली किसी संस्था की सदस्या है. रामजस कॉलेज का विवाद अब गुरमेहर कौर के पुराने अपील पर आकर फोकस हो गया है. जाने-अनजाने में गुरमेहर कौर ने 1947 से चली आ रही भारत-पाक के बीच के तनाव को को दूर करके दोस्त बनने की अपील कर डाली है.
वह भी ऐसे समय में जब एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत ने पिछले कुछ सालों में दुनिया में हथियारों का सबसे ज्यादा निर्यात किया है.