गुजरात हिंसा, सेना का फ्लैग मार्च
अहमदाबाद | समाचार डेस्क: गुजरात में बुधवार को बंद के दौरान बड़े पैमाने पर हुई हिंसा में सात मरे. बंद का आह्वान पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति ने किया था. इस दौरान भड़की हिंसा में सात लोगों की मौत हो गई और सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए. दंगा, आगजनी, पथराव और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान के बाद कई शहरों में सेना तैनात करने का फैसला किया गया. गुजरात राज्य पुलिस कंट्रोल पर तैनात एक अधिकारी ने कहा, “अर्धसैनिक बलों की फायरिंग में अहमदाबाद में तीन और बनासकांठा में दो लोग मारे गए. दंगाइयों पर काबू पाने के लिए अर्धसैनिक बलों को गोली चलानी पड़ी.”
गुटों के बीच हुए संघर्ष और पथराव में 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं. सैकड़ों वाहन फूंक दिए गए हैं. सौ तो बसें ही फूंकी गई हैं.
सेना, सीआरपीएफ, राज्य आरपीएफ, आरएएफ और बीएसएफ की 133 कंपनियों को अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, जामनगर, मोरबी, वडोदरा, मेहसाणा और बनासकांठा में तैनात किया गया है. राज्य पुलिस की पूरी ताकत भी इनके साथ हालात पर काबू पाने में लगी हुई है.
सेना और अर्ध सैनिक बलों ने अलग-अलग शहरों के दंगा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्य की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और कई अन्य दलों के वरिष्ठ नेताओं ने लोगों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है. लेकिन, इनकी अपील का असर होता नहीं दिख रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा, “मंगलवार से जिस तरह का वातावरण महात्मा गांधी और सरदार पटेल की भूमि पर बन रहा है और जिस तरह से हिंसा हो रही है.. हम जानते हैं कि हिसा का कोई उद्देश्य नहीं है और एक साथ चलकर तथा साथ रहकर ही राज्य का विकास संभव है.”
उन्होंने कहा, “गुजरात के सभी भाई और बहनों से यह मेरा विनम्र अुनरोध है कि वे शांति बनाए रखें क्योंकि हर मुद्दा बातचीत से ही सुलझ सकता है. हमें लोकतंत्र की भावना का पालन करना चाहिए और सभी मुद्दे सुलझाने चाहिए तथा गुजरात को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहिए.”
अहमदाबाद में सुरक्षा बलों की 49 कंपनियां तैनात की गई हैं. यहां मंगलवार को पटेल समुदाय की रैली में 12 लाख से अधिक लोग पहुंचे थे.
सूरत में सुरक्षा बलों की 10 कंपनियां तैनात की गई हैं. शहर में बड़े पैमाने पर आगजनी और लूटपाट की घटनाएं हुई हैं.
कई शहरों में लगा कर्फ्यू भी बवाल को रोक नहीं सका. अहमदाबाद के पुलिस आयुक्त शिवानंद झा ने बताया कि शहर में रात का कर्फ्यू बुधवार को भी जारी रहेगा.
अहमदाबाद और हिंसा प्रभावित तमाम शहरों में स्कूल-कॉलेज गुरुवार को भी बंद रहेंगे.
पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक 22 साल के हार्दिक पटेल मंगलवार देर शाम पटेल समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर अनशन पर बैठ गए थे. इसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था.
दो घंटे बाद हिरासत से छूटने पर हार्दिक ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी और सरकार को मांगें मानने के लिए 48 घंटे का वक्त दिया था. उन्होंने बुधवार को बंद का आह्वान किया.
हार्दिक पर पुलिस की कार्रवाई की खबर जंगल में आग की तरह फैली, जिसके विरोध में गुस्साए पटेलों ने राज्य में अलग-अलग जगहों पर सार्वजनिक और निजी संपत्तियों में तोड़फोड़ शुरू कर दी.
अहमदाबाद में कम से कम दो कैबिनेट मंत्रियों के घरों पर भी हमला किया गया. एक पुलिस चौकी फूंक दी गई.
पुलिस ने अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, मेहसाणा, उंझा और विजनगर में कर्फ्यू लगाकर हालात पर काबू पाने की कोशिश की.
मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिह से बात की है और हिंसा की जांच का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि हिंसा के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.