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शिवराज सरकार किसान विरोधी: गोविंदाचार्य

भोपाल | समाचार डेस्क: भाजपा के पूर्व थिंक टैंक माने जाने वाले गोविंदाचार्य ने मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह की सरकार को उद्योपतियों का हितैषी करार दिया है. उन्होंने केन्द्र सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल को किसान विरोधी कहा है. उन्होंने शिवराज सरकार को उद्योगपतियों के लिये कानून बनाना वाला कहा. उल्लेखनीय है कि कभी इसी गोविंगदाचार्य के तीखे बोल कांग्रेस के खिलाफ हुआ करते थे. उन्होंने भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर मोदी सरकार के नीयत पर सवाल उठाया है. स्वदेशी आंदोलन के समर्थक और सामाजिक चिंतक क़े एऩ गोविंदाचार्य ने यहां सोमवार को कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की जमीन संबंधी नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि यह सरकार गरीब व किसानों के लिए नहीं, बल्कि उद्योगपतियों को ध्यान में रखकर नीतियां बना रही हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी में एकता परिषद के संस्थापक और गांधीवादी पी.वी. राजगोपाल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा जमीन संबंधी समस्याओं का निराकरण न किए जाने के विरोध में चल रहे चार दिवसीय उपवास व धरने का समर्थन करने गोविंदाचार्य भी पहुंचे. राजगोपाल के उपवास व धरने का सोमवार को दूसरा दिन है.

धरने के दौरान गोविंदाचार्य ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाया गया भूमि अधिग्रहण अध्यादेश ‘भूमि लूट कानून’ है. सरकार अध्यादेश को किसानों के हित में बता रही है, जो छलावा है. गरीब लोग सिर्फ अपने जीने का अधिकार मांग रहे हैं, पर सरकार उसे वह भी नहीं देना चाहती.

उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों को जो जमीन दी जाती है, उसमें से सिर्फ दो फीसदी जमीन का वे उपयोग करते हैं, बाकी जमीन हड़प जाते हैं.

गोविंदाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार को अध्यादेश लाने की इतनी जल्दी क्या थी, इससे साफ है कि उसकी नीयत ठीक नहीं है. यह किसानों को खेती से बेदखल करने का साजिश है. एक तरफ जहां केंद्र सरकार किसानों के खिलाफ काम कर रही है, वहीं मध्यप्रदेश सरकार भी जमीन संबंधी मामलों पर ध्यान न देकर किसानों के हित को नजरअंदाज कर उद्योगपतियों के हित में कानून बना रही है.

उपवास का समर्थन करने पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, “भूख एक सामाजिक बीमारी है. जब समाज के लाखों लोग भूखे रहेंगे, तो समाज सुरक्षित कैसे रहेगा? हम इस बीमारी को ठीक करने के बजाय अलग-अलग कानूनों के माध्यम से इसे बड़ा रहे हैं. भूमिहीनों को भूमि और किसानों की भूमि को सुरक्षित रखकर ही इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है.”

वहीं, कांग्रेस नेता मुकेश नायक ने कहा कि भूमि के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए संप्रग सरकार ने बेहतर कानून बनाया था, लेकिन सालभर के भीतर ही मोदी सरकार ने उसे बदलकर किसान विरोधी बना दिया है.

कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री राजा पटेरिया ने कहा कि किसानों और गरीबों के खिलाफ काम करने वाली सरकार का ‘सच’ जनता के बीच ले जाने की जरूरत है.

राजगोपाल ने कहा, “हम इस उपवास को सरकार के लिए चेतावनी मान रहे हैं. सरकार को हमारी मांगों पर त्वरित निर्णय लेना होगा. समग्र विकास के लिए भूमि सुधार आयोग एवं टास्क फोर्स आज की सबसे बड़ी जरूरत है. इसी तरह एकता परिषद की अन्य मांगों पर भी सरकार को ध्यान देना है, जिसमें वन अधिकार कानून का बेहतर क्रियान्वयन भी एक बड़ा मुद्दा है.”

एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रण सिंह परमार ने कहा, “सरकार की गरीब विरोधी नीतियों का पर्दाफाश हम गांव-गांव जाकर करेंगे.”

एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीष कुमार ने बताया कि उपवास एवं धरने को समर्थन देने के लिए जल-पुरुष राजेंद्र सिंह भी मंगलवार को भोपाल पहुंच रहे हैं.

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