भाजपा की तबादला नीति का विरोध
मुंबई | एजेंसी: भाजपा की तबादला नीति के विरोध में कांग्रेस के जमाने के राज्यपाल ने इस्तीफा दे दिया है. गौरतलब है कि पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में नियुक्त राज्यपालों के इस्तीफे की कड़ी में रविवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. शेष काल के लिए उनका स्थानांतरण रविवार को मिजोरम कर दिया गया था जिससे वे नाराज चल रहे थे. महाराष्ट्र में नए राज्यपाल की व्यवस्था होने तक गुजरात के राज्यपाल ओ. पी. कोहली को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.
दोपहर में यहां पहुंचे कोहली को बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस. शाह ने राजभवन में शपथ दिलाई. उनके शपथ ग्रहण में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी, विपक्ष के नेता और अन्य पार्टियों के नेता व अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी मौजूद थे.
यहां राजभवन में मौजूद पत्रकारों से शंकरनारायणन ने कहा, “मैंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेज दिया है.”
शंकरनारायणन ने अपने फैसले को जायज ठहराते हुए कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप कर संविधान का सम्मान किया है.
उन्होंने कहा, “राज्यपाल के रूप में यहां काम करते हुए और इससे पहले झारखंड एवं नगालैंड में भी राज्यपाल रहते हुए मैंने कभी भी अपने कामकाज में राजनीति को नहीं आने दिया.”
मिजोरम भेजे जाने के फैसले के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर स्पष्ट हमला करते हुए शंकरनारायणन ने कहा, “कोई सरकार स्थायी नहीं होती है, कोई व्यक्ति भी स्थायी नहीं होता और उन्हें कुछ समय बाद बदलना होता है.”
वर्ष 2012 में महाराष्ट्र का दोबारा राज्यपाल बनाए जाने वाले शंकरनारायणन ने राज्य के लोगों को समर्थन और प्रेम देने के लिए धन्यवाद दिया.
उन्होंने कहा कि सोमवार से वे सिर्फ एक कांग्रेसी की तरह काम करेंगे. दशकों पूर्व एक साधारण सदस्य के रूप में कांग्रेस में शामिल होकर वे शिखर तक पहुंचे.
उन्होंने कहा, “कल से मेरे ऊपर किसी तरह की बंदिश नहीं होगी. मैं जो चाहूं कर सकता हूं, जहां चाहूं वहां मैं जा सकूंगा, अपनी पसंद के विषय पर मैं जो चाहूं बोल सकूंगा.”
तेजी से घटनाक्रम रविवार दिन के 1 बजे तब बदला जब राष्ट्रपति भवन ने शंकरनारायणन का मिजोरम तबादला करने के बारे में एक संदेश जारी किया.
यह कदम नागपुर में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चव्हाण, अजित पवार और सत्ताधारी कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस की गठबंधन सरकार के नेताओं के दूरी बनाए रखने के महज तीन दिनों बाद उठाया गया है.
राज्यपाल इस कार्यक्रम में मौजूद रहे और राज्य सरकार ने भी शिष्टाचार का पालन किया था, लेकिन राजनीति के शिखर ‘पुरुषों’ ने अन्य राज्यों में गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों की हो रही हूटिंग को देखते हुए दूरी बना ली थी.
नई सरकार की आंखों में खटकने वाले पूर्व की संप्रग सरकार के कार्यकाल में नियुक्त एक दर्जन राज्यपालों में शंकरनारायणन भी एक थे. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने अपना नाम जाहिर नहीं होने देने की शर्त पर बताया कि नई सरकार के निशाने पर शंकरनारायणन के होने की एक मुख्य वजह यह भी मानी जा रही है कि राज्य में शीघ्र ही विधानसभा के चुनाव होने हैं.
मिजोरम की पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल को सात अगस्त को पद से हटाए जाने के बाद अब शंकरनारायणन को मिजोरम का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. उन्हें 2012 में दूसरी बार महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. उनका वर्तमान कार्यकाल 2017 में पूरा होना था.
इससे पहले, शंकरनारायणन तीन साल के लिए झारखंड और नागालैंड के राज्यपाल रह चुके थे.
उधर कांग्रेस ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायण का स्थानांतरण मिजोरम किए जाने के मुद्दे पर रविवार को कहा कि सरकार सत्ता का मनमाने ढंग से इस्तेमाल कर रही है.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने यहां कहा, “सरकार मनमाने ढंग से सत्ता का इस्तेमाल कर रही है. यह पूर्वाभास की तरह है. पहले कमला बेनीवाल का स्थानांतरण मिजोरम कर दिया गया, उसके बाद उन्हें टीवी से यह पता चला कि उन्हें मिजोरम के राज्यपाल के पद से हटा दिया गया है. तानाशाही वास्तव में इस सरकार के डीएनए में है.”
तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार 2004 में सुनाए गए सर्वोच्च न्यायालय के संवैधानिक बेंच के फैसले के खिलाफ जा रही है.
उन्होंने कहा, “फैसले में साफ तौर पर कहा गया कि चूंकि राज्यपाल का राज्य की राजनीतिक व्यवस्था या दिल्ली में बैठी सरकार के साथ सीधा संपर्क नहीं होता है और न ही विचारधारा से मेल होता है. इसलिए किसी भी स्थिति में राज्यपाल के साथ इस तरह का लापरवाह रवैया नहीं अपनाया जा सकता.”