कोल ब्लॉक की नीलामी पर सस्पेंस
नई दिल्ली | एजेंसी: क्या कोल ब्लॉक नीलाम होंगे? केन्द्र सरकार कोल ब्लॉकों की नीलामी करने के लिये तैयार है. ऐसा केन्द्र सरकार की ओर से महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने सर्वोच्य न्यायालय से कहा है. केन्द्र सरकार ने केवल उन 46 कोल ब्लॉकों से नरमी बरते जाने का अनुरोध किया है जहां संचालन शुरु हो चुका है. केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि यदि अदालत कोयला ब्लॉक आवंटन को रद्द करने का फैसला करती है, तो वह उसकी नीलामी करने के लिए तैयार है. महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा, “हम फैसले के साथ हैं और उसके फिर से आवंटन के लिए नीलामी के लिए तैयार हैं.”
उन्होंने हालांकि न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की पीठ से 46 खदानों के प्रति अपवाद मानते हुए नरमी बरतने का अनुरोध किया, जिसमें से 40 का संचालन शुरू हो चुका है और छह संचालन शुरू करने के लिए तैयार है और उससे चलने वाले बिजली संयंत्र भी तैयार हैं.
अदालत से कहा गया कि मामले के दायरे में 218 कोयला ब्लॉक शामिल हैं. पिछली सरकार ने इसमें से 80 का आवंटन रद्द कर दिया था और 46 के प्रति अपवाद स्वरूप छूट देने का अनुरोध किया गया है.
अदालत ने कहा, “सबसे अच्छा तरीका वह है, जो रोहतगी कह रहे हैं, वह है नीलामी. प्रक्रिया को अवैध ठहरा दिया गया है और आप इसका लाभ नहीं उठा सकते.”
सरकार ने कोयला ब्लॉक आवंटन को अवैध ठहराए जाने के बाद उसके परिणाम की समीक्षा करने के लिए सेवानिवृत्त न्यायधीशों की एक समिति बनाए जाने के अदालत के सुझाव को विरोध किया.
अदालत ने 25 अगस्त को दिए गए फैसले में 1993 से 2010 के बीच हुए कोयला ब्लॉक आवंटन को अवैध ठहराया था और उपलब्ध विकल्पों की पड़ताल करने के लिए एक समिति बनाने का सुझाव दिया था.
रोहतगी ने कहा, “हम समिति नहीं चाहते हैं. हम किसी को भी बचाना नहीं चाहते. यदि अदालत सभी ब्लॉकों की फिर से नीलामी कराना चाहती है, तो सभी की होगी.”
अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए नौ सितंबर की तिथि मुकर्रर की और सभी संबद्ध पक्षों से अपनी राय पर हलफनामा आठ सितंबर तक दाखिल करने के लिए कहा. देखना ये है कि 9 सितंबर को कोयला के खदान वर्तमान मालिकों के पास रहेंगे या जाएंगे.