पतले धान को लेकर सरकार सख्त, मिलरों पर कसा शिकंजा
रायपुर| संवाददाताः प्रदेश सरकार ने पतले धान की कालाबाजारी रोकने के लिए पहली बार मिलरों पर शिकंजा कसा है. सरकार ने मिलरों से पतले धान का अलग से हिसाब मांगा है. साथ ही सख्त निर्देश जारी किया है कि पतले धान से उपार्जित होने वाले चावल को कस्टम मिलिंग में ही खपाया जाए. मोटा धान के रहते पतला धान का टीओ जारी करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. सरकार के इस फैसले से पहली बार पतले धान का मापदंड अलग से दिखाई देगा.
धान खरीदी नीति में अब तक सबसे बड़ी खामी यह रही है कि नागरिक आपूर्ति और उसना चावल के लिए भले ही टारगेट जारी किया जाता था. लेकिन कितने मोटा और कितने पतला इसका उल्लेख नहीं होता था. इसी का राइस मिलर जमकर फायदा उठाते थे. पतले धान की जगह मोटा धान को खपाते थे और पतला धान को दूसरे प्रदेश में बेच देते थे.
बताया गया कि मिलर अपना फायदा देखने के लिए समितियों से सबसे पहले पतले धान को ही उठाते हैं. फड़ में पतला धान के रहते मोटा धान में हाथ ही नहीं डालते है. क्योंकि पतले धान से ही मिलरों को मोटी कमाई होती है. पतले धान के चावल को राइस मिलर्स अधिक छिलाई कर और पतला बना देते हैं. जिसकी मांग बाहर बाजारों में अधिक है. खासकर दूसरे राज्यों में मांग अधिक है. राज्य के मिलर यहां के पतला चावल को दूसरे राज्यों में ही खपाते थे.
इन्ही सब गड़बडियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने इस साल गिरदावरी रिपोर्ट में पतला और मोटा धान का अलग-अलग रिपोर्ट तैयार करवाया है. पहले पतला और मोटा चावल लेने का मापदंड नीति में ही नहीं था.
टीओ जारी करने पर रोक
छग राज्य सहकारी विपणन संघ के प्रबंधक संचालक द्वारा इन दिनों संग्रहण केन्द्रों में धान मण्डारण में पतला धान का टीओ जारी करने पर भी रोक लगाने आदेश जारी कर दिया है.
कहा गया है कि जब तक संग्रहण केन्द्रों में मोटा धान है तब तक पतला धान का उठाव नहीं कराया जाएगा.
जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि कलेक्टर द्वारा एफसीआई उसना एवं नान अरवा के लिए कस्टम मिलरों के लिए धान का अनुपात इस प्रकार निर्धारित किया जाए कि जिलों में उपार्जन होने वाले संपूर्ण पतले धान का कस्टम मिलिंग के माध्यम से निराकरण किया जा सके. वहीं संग्रहण केन्द्रों में सिर्फ पुराने बारदानों में धान का भण्डारण कराएं.
16 लाख टन पतले धान का अनुमान
पिछले विपणन वर्ष 2023-24 में प्रदेश में कुल 144.92 लाख मेट्रिक टन उपार्जित धान में से 14.44 लाख मेट्रिक टन धान पतले किस्म का धान था. यह कुल खरीदी का लगभग 10 प्रतिशत है.
पिछले साल के पतले धान के आवक अनुपात के मान से इस साल 160 लाख मेट्रिक टन में से लगभग 16 लाख मेट्रिक टन पतला धान उपार्जित होने की संभावना है. जिसमें केन्द्र से राज्य को 8 लाख मेट्रिक टन उसना चावल जमा करने का आबंटन प्राप्त हुआ है. जिससे लगभग 11.65 लाख मेट्रिक टन पतला धान का निराकरण किया जा सकता है. शेष 4.35 लाख मेट्रिक टन पतला धान का निराकरण नान अरवा के लक्ष्य के माध्यम से किया जा सकता है.