राजनांदगांव में गोधन योजना फ्लॉप
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के हर ज़िले में गोधन न्याय योजना की गड़बड़ियों के आंकड़े सामने आ रहे हैं. राज्य में साल भर के भीतर ही गोबर खरीदी, केवल एक तिहाई रह जाने के अलावा कागजी गड़बड़ियां बता रही हैं कि धरातल पर योजना का गुड़-गोबर हो चुका है.
राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में ही अलग-अलग अवसरों पर जो जवाब दिए हैं, उसमें भारी विरोधाभास है.
इन जवाबों को पढ़ने से साफ़ समझ में आता है कि या तो सदन को गुमराह किया गया या योजना में भारी भ्रष्टाचार किया गया.
उदाहरण के लिए राजनांदगांव ज़िले में गोधन न्याय योजना प्रारंभ होने यानी 20 जुलाई 2020 से लेकर 4 फरवरी 2021 यानी 199 दिनों में पंजीकृत हितग्राहियों की संख्या 20727 थी. पूरे राज्य में सबसे अधिक पंजीकृत गोबर विक्रेता राजनांदगांव में ही थे.
विधानसभा में 5 मार्च 2021 को तारांकित प्रश्न संख्या 20 (क्र.1550) के उत्तर में यह जानकारी दी गई कि इन 199 दिनों में गोबर विक्रय करने वाले कुल हितग्राही की संख्या 19082 थी.
लेकिन विधानसभा में 25 जुलाई 2022 को जानकारी दी गई कि 20 जुलाई 2020 से 31 मार्च 2021 यानी 254 दिनों में गोबर बेचने वाले कुल हितग्राही केवल 18840 थे.
सवाल यही है कि 199 दिनों में जितने हितग्राहियों की संख्या बताई गई थी, वह 254 दिनों में बढ़ने या स्थिर रहने के बजाय कम कैसे हो गई?
5 मार्च 2021 को सदन के भीतर दिया गया जवाब सही था या 25 जुलाई 2022 को सदन के भीतर दिया गया जवाब ?
ख़रीदी रह गई एक चौथाई
2021-22 में राजनांदगांव ज़िले में 1 लाख 48 हज़ार 997.03 क्विंटल गोबर की ख़रीदी हुई.
विधानसभा में इसी साल 22 जुलाई को जो जानकारी उपलब्ध कराई गई है, उसके अनुसार 2021-22 में राजनांदगांव के गौठानों में कंपोस्ट खाद बनाने के लिए 4 लाख 50 हज़ार 622.97 क्विंटल गोबर दिया गया.
कुल ख़रीदी 1,48,997.03 क्विंटल गोबर के मुकाबले 4,50,622.97 क्विंटल गोबर कंपोस्ट खाद बनाने के लिए प्रदान करने के आंकड़े अपनी जगह हैं.
लेकिन 2020-21 के 254 दिनों में सरकार का दावा है कि उसने राजनांदगांव में 6,09,965.77 क्विंटल खरीदा.
अगले साल यानी 2021-22 में गोबर ख़रीदी का यह आंकड़ा एक चौंथाई रह गया. राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के 365 दिनों में महज 1,48,997.03 गोबर ही ख़रीद पाई.
मतलब ये कि 2020-21 में राजनांदगांव ज़िले में हर दिन 2401.44 क्विंटल गोबर की ख़रीदी हो रही थी.
लेकिन अगले ही साल यानी 2021-22 में यह आंकड़ा घट गया. इस साल हर दिन केवल 408.21 क्विंटल गोबर की ही ख़रीदी हुई.
गोबर ख़रीदी के ये आंकड़े, राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना की विफलता की कहानी बताने के लिए पर्याप्त हैं.