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ग्लोबल नेचर कंजरवेशन इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 176

नई दिल्ली | संवाददाता:ग्लोबल नेचर कंजरवेशन इंडेक्स यानी वैश्विक प्रकृति संरक्षण सूचकांक 2024 में भारत, बेहद ख़राब प्रदर्शन के साथ, 180 देशों की रैंकिग में 176 स्थान पर है.
दुनिया में सबसे ख़राब प्रकृति संरक्षण वाले अन्य देशों में किरिबाती (180), तुर्की (179), इराक (178) और माइक्रोनेशिया (177) शामिल हैं. भारत को 100 अंक में से महज 45.5 अंक मिले हैं.

बेन गुरियन विश्वविद्यालय और जैव विविधता डेटा पर काम करने वाली बायो डीबी द्वारा यह ग्लोबल नेचर कंजरवेशन इंडेक्स का यह मूल्यांकन मूलतः भूमि प्रबंधन, जैव विविधता के लिए खतरे, क्षमता और शासन, तथा भविष्य के रुझान को आधार मान कर किया गया है.

ग्लोबल नेचर कंजरवेशन इंडेक्स में भारत का अंतिम पांच स्थान पर होने के पीछे मुख्यतः अकुशल भूमि प्रबंधन और इसकी जैव विविधता पर बढ़ते खतरों को बताया गया है.

इस सूचकांक के अनुसार भारत में शहरी, औद्योगिक और कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि रूपांतरण की 53 प्रतिशत दर के कारण, टिकाऊ भूमि उपयोग तकनीक आवश्यक है. इस रिपोर्ट में अत्याधिक कीटनाशकों का उपयोग और भूमि प्रदूषण पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई है. सूचकांक में कहा गया है कि 0.77 के स्थायी नाइट्रोजन सूचकांक के साथ, मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मिट्टी प्रदूषण को कम करने पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

इस सूचकांक में भारत को लेकर कहा गया है कि 2001 और 2019 के बीच, वनों की कटाई के कारण आश्चर्यजनक रूप से 23,300 वर्ग किमी वृक्ष क्षेत्र का नुकसान हुआ. इसके साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के कारण संवेदनशील पारिस्थितिक गंभीर रुप से प्रभावित हुई है.

इस सूचकांक में कहा गया है कि भले ही 40 प्रतिशत समुद्री प्रजातियाँ और 65 प्रतिशत स्थलीय प्रजातियाँ संरक्षित क्षेत्रों (पीए) के भीतर स्थित हैं, फिर भी महत्वपूर्ण जनसंख्या में कमी जारी है. सूचकांक में कहा गया है कि अन्य 67.5 प्रतिशत समुद्री प्रजातियों और 46.9 प्रतिशत स्थलीय प्रजातियों की जनसंख्या में गिरावट जारी है.

सूचकांक के निष्कर्ष, सतत विकास पर सबसे हालिया वैश्विक प्रगति रिपोर्ट द्वारा उठाई गई चिंताओं से मेल खाते हैं, जहां देश को एसडीजी 14 (पानी के नीचे जीवन) और एसडीजी 15 (जमीन पर जीवन) में बड़ी चुनौतियों दर्शाई गई हैं.

आने वाले दिन

‘भविष्य के रुझान स्तंभ’ के अंतर्गत सूचकांक में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में भारत के सामने एक तरफ़ आशाजनक अवसर है तो दूसरी ओर जैव विविधता की गंभीर चुनौतियाँ भी हैं. दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले देशों में से एक और 1970 के दशक के उत्तरार्ध से दोगुनी हो चुकी आबादी के साथ, देश की पारिस्थितिक संपदा लगातार खतरे में है.

इसके अतिरिक्त, भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा अवैध वन्यजीव बाज़ार है, जहां वार्षिक बिक्री लगभग 15 बिलियन पाउंड है. इसलिए सूचकांक ने मजबूत प्रवर्तन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि संरक्षण रणनीतियों के सफल क्रियान्वयन के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति आवश्यक है. जिसमें सतत विकास का समर्थन करने वाले कानून पारित करना और पर्यावरणीय पहलों के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित करना शामिल है. रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि भारत अगर चाहे तो आने वाली संरक्षण चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकता है तथा अधिक टिकाऊ और पारिस्थितिकी अनुकूल भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

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