गिरते रुपए के पीछे विदेशी हालात: मनमोहन
नई दिल्ली: देश की लगातार खस्ताहाल होती अर्थव्यवस्था के लिए चौतरफा आलोचना झेल रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि गिरते रुपए के लिए वैश्विक परिस्थितियां जिम्मेदार हैं. शुक्रवार को लोकसभा में उन्होंने कहा कि स्थिति को संभालने के लिए घरेलू स्तर पर कदम उठाए जाएंगे. मनमोहन ने यह भी कहा कि रुपए का अवमूल्यन होना जरूरी था.
इसके पीछे के कारण बताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि विकसित देशों की तुलना में भारत में महंगाई की दर काफी ज्यादा रही है. ऐसे में इसे समायोजित करने के लिए भारतीय मुद्रा में अवमूल्यन जरूरी हो गया था. साथ ही गिरते रुपए से कुछ लाभ भी होता है क्योंकि इससे निर्यात प्रतिस्पर्धी हो जाता है.
प्रधानमंत्री ने सोने के प्रति मोह को दूर करने की बात करते हुए कहा, “स्पष्ट है कि सोने के प्रति अतिशय मोह को दूर करने की जरूरत है, पेट्रोलियम उत्पादों के किफायती इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरूरत है और अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है”
सुधारों के बारे में बोलते हुए श्री सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और आरबीआई तथा सरकार दोनों ही महंगाई दूर करने के उपाय कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चालू खाता घाटा कम करने की भी कोशिश की जा रही है लेकिन इसके लिए पूंजी पर नियंत्रण जैसी कोई बात नहीं होगी और भारत एक खुली अर्थव्यवस्था ही बना रहेगा.
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से लगातार अवमूल्यित होता रुपया बुधवार को डॉलर के मुकाबले 69 रुपए के करीब पहुँच गया था. इस मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि अर्थव्यवस्था सरकार के हाथ से निकल चुकी है लेकिन यूपीए सरकार इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है.