बुढ़ापे में बेटियां बनती हैं सहारा!
न्यूयार्क | एजेंसी: यदि आप बेटी के पिता हैं, तो गर्व कीजिए. बुढ़ापे में बेटियां ही माता-पिता का ध्यान रखती हैं, बेटे नहीं. एक अध्ययन में अभिभावकों को यह सलाह दी गई है कि यदि वे चाहते हैं कि बुढ़ापे में बच्चे उनकी देख-भाल करें, तो बेटियों के माता-पिता बनने की दुआ मांगे. हालांकि यह अध्ययन सात समुंदर पार किया गया है लेकिन हमारे देश में भी लागू होता है.
अध्ययन में पता चला है कि महिलाएं बूढ़े मां-बाप की सेवा में पुरुषों से कहीं आगे हैं.
प्रिंसटन युनिवर्सिटी में समाजशास्त्र विषय में डॉक्टरेट की उम्मीदवार एंजेलीना ग्रिगोरयेवा ने कहा, “बेटे ज्यादातर उन्हीं हालातों में माता-पिता की सेवा करते हैं, जब उनकी देख-भाल के लिए बहन, या मां या पत्नी में से कोई मौजूद नहीं होता.”
एंजेलीना का अध्ययन युनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन हेल्थ एंड रिटायरमेंट स्टडी से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है, जो हर दो साल में 50 से ज्यादा उम्र वाले 26,000 अमरीकियों का सर्वेक्षण करती है.
अध्ययन में यह भी पता चला कि भाई-बहनों के बीच बूढ़े माता-पिता की देखभाल को लेकर जिम्मेदारी के बंटवारे में भी लिंग एक महत्वपूर्ण कारक है, जहां माता-पिता का ज्यादा या कम ख्याल रखा जाता है.
एंजेलीना ने कहा, “बेटे अपनी जिम्मेदारी से कतराते हैं, जब उनकी कोई बहन भी होती है. इसके विपरीत बेटियां अपनी जिम्मेदारी बढ़-चढ़ कर निभाती हैं, जबकि उनका भाई भी होता है.”
इससे साफ पता चलता है कि बेटे अपने हिस्से की जिम्मेदारियां अपनी बहनों पर लाद देते हैं.