गिप्पी पर प्रतिबंध की मांग
भोपाल | संवाददाता: करण जौहर की फिल्म ‘गिप्पी’ के डायलॉग को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुये मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. आयोग के सदस्य विभांशु जोशी व आरएन लता ने कहा है कि फिल्म में बोले गए संवाद ‘मेरे तो छोटे-छोटे समोसे जैसे हैं’ बच्चों में आम बोलचाल का हिस्सा बन सकता है, जिसका संदेश नकारात्मक जायेगा. इसके अलावा मोटी लड़कियों को ‘गिप्पी’ की संज्ञा भी दी जाने लगेगी.
करण जौहर की फिल्म ‘गिप्पी’ 10 मई को परदे पर आयेगी. यह फिल्म एक ऐसी बच्ची की कहानी है, जो किशोरावस्था से गुजर रही है और उसे तमाम तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव से गुजरना पड़ता है. गिप्पी बनी दिल्ली की रिया का कहना है कि हम सारी लड़कियां एक समय ऐसे दौर से गुजर रहे होते हैं, जहां अगर हमें ठीक-ठीक समझाने वाला कोई न हो तो हम कई भ्रांतियों और असहजताओं के साथ बड़े होने को बाध्य हो जाते हैं. लेकिन फिल्म के एक संवाद को लेकर मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आपत्ति जताई है.
मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सेंसर बोर्ड को भी लिखा है कि फिल्म को दुबारा देखने के बाद ही इसे सिनेमाघरों रिलीज की अनुमति मिलनी चाहिए. इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर फिल्म पर रोक लगाने के लिये बाल आयोग सांसदों को भी पत्र लिख रहा है.
आयोग का कहना है कि इस फिल्म में कुछ दृश्य व संवाद ऐसे हैं, जिनसे बच्चों के मन मस्तिष्क पर बुरा असर पड़ेगा. आयोग ने इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष शांता सिन्हा, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय व सेंसर बोर्ड को पत्र लिखकर फिल्म से आपत्तिजनक दृश्य व संवादों को हटाने के लिए लिखा गया है. धर्मा प्रोडक्शन की इस फिल्म का जो प्रोमो दिखाया जा रहा है, उसमें दो सहेलियों के बीच द्विअर्थी संवाद हैं.फिल्म के ट्रेलर में कुछ दृश्य ऐसे हैं, जो एडल्ट फिल्मों में होते हैं. आयोग का कहना है कि बच्चों के शारीरिक परिवर्तन के संबंध में ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं, जिससे इस फिल्म को चाइल्ड कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता. आयोग का कहना है कि यदि इस फिल्म को चाइल्ड कैटेगरी में रखा गया तो निश्चित रूप से स्कूली छात्राओं के संबंध में लोग सार्वजनिक रूप से द्विअर्थी संवाद का प्रयोग करने लगेंगे.