सरकारी कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग को मंजूरी
नई दिल्ली|डेस्कः केंद्र सरकार ने गुरुवार को सरकारी कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है. जल्दी ही इसके लिए कमिटी का गठन किया जाएगा और 8वें वेतन आयोग को बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
आज केंद्रीय कैबिनेट की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई और पीएम मोदी की अध्यक्षता में इस फैसले पर मंजूरी दे दी गई.
सरकार के इस फैसले से लोखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को फायदा होगा. वहीं कर्मचारी संगठनों ने इस घोषणा का स्वागत किया है.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी साझा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों के लिए आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है. यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है. इसके लिए आयोग के अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति जल्द ही की जाएगी. इस आयोग को 2026 में लागू किया जा सकता है, क्योंकि 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 तक है.
उन्होंने बताया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं, लेकिन इसका कार्यकाल 2025 में समाप्त हो रहा है. हालांकि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसके लिए 2025 तक पर्याप्त समय दिया गया है.
लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारियों को लाभ
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से देशभर के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों को लाभ मिलेगा.
केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन लंबे समय से आठवें वेतन आयोग के गठन की मांग कर रहे थे.
ये संगठन सरकार पर लगातार दबाव बना रहे थे. ताकि कर्मचारियों के वेतन संबंधी मुद्दों का समाधान हो सके.
कई बार कर्मचारी यूनियनों ने केंद्र सरकार से इस विषय में स्थिति स्पष्ट करने की मांग भी की थी.
हर 10 साल में आता है नया आयोग
अंतिम वेतन आयोग का गठन हुए 10 साल से ज्यादा समय बीत चुका है. आम तौर पर हर 10 साल में अगले वेतन आयोग का गठन हो जाता है.
पुराने वेतन आयोग की जगह पर नए वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बीच भी सामान्यत: 10 साल का अंतर रहता है.
ऐसे में आठवें वेतन आयोग का गठन जरूरी हो गया था. देश में 7वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू हुआ था.
हालांकि सातवें वेतन आयोग का गठन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 28 फरवरी 2014 को किया गया था.
सातवें वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशें उसके करीब डेढ़ साल बाद नवंबर 2015 में केंद्र सरकार को सौंप दी थी.
वेतन में होगी जबरदस्त बढ़ोतरी
साल 2016 में 7वां वेतन आयोग का गठन किया गया था. उस समय बेसिक सैलरी 18 हजार रुपये हो गई थी.
उससे पहले कर्मचारियों की मिनिमम सैलरी 7 हजार थी. 6वें से 7वें में आने से सरकारी कर्मचारियों के वेतन में महत्वपूर्ण उछाल आई थी.
7वें वेतन आयोग के तहत, 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया था, जिसके कारण केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स की बेसिक सैलरी में 2.57 से गुणा किया गया.
यह उनके मूल वेतन में 2.57 फीसदी की बढ़ोतरी के बराबर था.
इसके विपरीत, 6वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, जिससे सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 1.86% की बढ़ोतरी थी.
अब 8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद फिटमेंट फैक्टर में एक और बदलाव हो सकता है.