प्रसंगवश

दुनिया को चाहिये गांधीवादी दर्शन

दुनिया को शांति की तरफ ले जाने के लिए आज एक मिसाली बदलाव की जरूरत है. हमारी सभ्यता का पतन बता रहा है कि हमने ‘जीवन के प्रति सम्मान’ खो दिया है. नैतिकता, सदाचार और आध्यात्मिक मूल्यों की जगह हिंसा, सैन्यवाद, लालच, गुस्से, नफरत, आतंकवाद और मनोवैज्ञानिक तथा भावुकतापूर्ण संघर्षो ने ले ली है.

एक ऐसे नए दर्शन की जरूरत है जो प्रतिबद्ध सामाजिक कार्रवाई और व्यापक जनसमुदाय के आध्यात्मिक बदलाव की बात करे.

हम आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों के बारे में सुनते रहे हैं. लेकिन, शांति के मानदंड के बारे में नहीं सुनते. जबकि मानव जाति को और अधिक संहार और युद्धों से बचाने के लिए मानवता को इसी रास्ते से गुजरना होगा.

एक ऐसा इंसान जिसका काम और दर्शन और जो खुद भी 21वीं सदी की प्रभावी ऐतिहासिक शख्सियत है, वह हैं-महात्मा गांधी.

आज दो अक्टूबर को गांधी की 146वीं जयंती है. दुनिया को शांति के इस दूत के सम्मान में एक मिनट का मौन रखना चाहिए.

गांधी का नाम आने वाली सदियों में भी मानवता के मस्तिष्क में रचा-बसा रहेगा. इसकी वजह परमाणु हथियारों से मुक्त एक विश्व, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, कानून, व्यवस्था, मानवीय खुशी और स्थायित्व के प्रति उनकी प्रतिबद्धता है.

ऐसा तब तक होगा, जब तक किसी ईसा मसीह, बुद्ध या कृष्ण का अवतार हमारे बीच नहीं आ जाता.

हम अपनी सभ्यता के संकट से निकल सकते हैं. हमें इसे तुरंत करना होगा.

दुनिया को आज पहले से कहीं ज्यादा शांति की जरूरत है. मध्य पूर्व, अमरीका, एशिया, यूरोप, भारत, पाकिस्तान और हमारे त्रिनिदाद और टोबैगो के चारों तरफ देखिए. हत्या और अपहरण रोजमर्रा की बात हो गए हैं.

इससे बचने का रास्ता यही है कि हम गांधी के विचार का अनुसरण करें. इसी विचार में वह शक्ति है, जो हमारी सामाजिक व्यवस्था के सांगठनिक और नैतिक पहुलओं को एकीकृत कर सकती है.

गांधी आध्यात्मिक तकनीक के मास्टर हैं. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने 21 साल के राजनैतिक-सामाजिक जीवन में अपने राजनैतिक-सामाजिक सिद्धांतों की बुनियाद डाली. यह व्यवहार और अनुभव ब्रिटिश साम्राज्य से भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके 34 साल के लंबे संघर्ष में काम आए.

उन्होंने अपनी इस सोच और पहल को सत्याग्रह का नाम दिया. इसे उन्होंने सच्चाई की ताकत और प्रेम की ताकत के रूप में परिभाषित किया था.

दक्षिण अफ्रीका और अपने बाद के भारतीय अनुभवों के आधार पर उन्होंने कई टुकड़ों में बंटी दुनिया को बचाने के लिए कई विशिष्ट नैतिक और आचरणगत प्रस्थापनाएं पेश कीं. इनमें इंसानों के बीच समानता, मानव का सम्मान, इंसानी आत्मा का उत्कृष्ट रूप, भौतिकता पर आध्यात्मिकता की श्रेष्ठता, असत्य पर सत्य की विजय और इंसान की आंतरिक नैतिक शक्ति के बल पर अत्याचारी शक्ति की पराजय जैसी बातें शामिल हैं.

महान नेता दो तरह के होते हैं.

एक तो वे जिनकी सोच उनके जीवनकाल में प्रभावी भूमिका निभाती है, लेकिन समय के साथ जिसका ह्रास हो जाता है.

दूसरे वे होते हैं जिनकी सोच समय की सीमा को लांघ जाती है, जो उनकी मौत के बाद भी मानवता को प्रभावित करती रहती है.

गांधी का संबंध दूसरी वाली श्रेणी से है.

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