पर्यूषण पर्व पर मुफ्त इलाज
दमोह | एजेंसी: धन-दौलत पाने के लिए लोग क्या-क्या जतन नहीं करते, कई तो इसके लिए सारी हदें भी पार कर जाते हैं, मगर मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक ऐसे चिकित्सक हैं, जो पर्यूषण पर्व के दौरान नोट को न छूने का व्रत रखते हैं.
जैन समाज में पर्यूषण पर्व को क्षमा पर्व भी कहा जाता है. 10 दिन के इस पर्व के दौरान समाज के लोग व्रत तो रखते ही हैं, साथ ही इस बात का भी ख्याल रखते हैं कि उनके कार्य से किसी का मन न दुखे और किसी को कष्ट न हो. इतना ही नहीं, पर्व के दौरान नैतिक सिद्धांतों से हटकर कोई कार्य करना उचित नहीं मानते.
दमोह में वर्षो से बतौर फीजियोथेरेपिस्ट कार्य कर रहे चिकित्सक रजनीश गांगरा इस पर्व को अपने ही तरह से मनाते हैं. वे इन दस दिनों में अपने क्लीनिक में आने वाले मरीजों से फीस नहीं लेते और पर्यूषण पर्व की अवधि के दौरान किसी तरह का लेन-देन भी नहीं करते हैं.
गांगरा का कहना है कि वे पिछले सात वर्षो से इस पर्व की अवधि में नोट न छूने का व्रत करते आ रहे हैं. उनका मानना है कि मोह-माया से दूर रहने पर ही ईश्वर की आराधना हो सकती है, मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. लिहाजा, इस अवधि में क्लीनिक में आने वाले किसी भी मरीज से वे फीस नहीं लेते हैं.
गांगरा के अस्पताल में इलाज करने आने वाले मरीज भगीरथ का कहना है कि वे अपने इलाज के लिए यहां आए हैं, मगर उनका उपचार बगैर खर्च किए हो रहा है. यहां किसी तरह की फीस नहीं ली गई है.
सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक राजेश सोनी का कहना है कि समाज हित में किया गया कार्य सराहनीय है. डा. गांगरा कई वर्षो से गरीब असहाय लोगों का पर्यूषण पर्व पर नि:शुल्क इलाज करते आ रहे हैं. इससे वे धर्म के लिहाज से पुण्य तो आर्जित करते ही हैं साथ में मानवता की सच्ची सेवा भी कर रहे हैं.
समाज हित में किया जाने वाला कार्य उन लोगों को आईना दिखाता है जो हर मौके पर धन कमाने की लालसा में सारी हदें पार कर जाते हैं.