छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में 15 अगस्त से मुफ्त दवाएं

रायपुर । मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज यहां मंत्रालय में राज्य के सभी 27 जिला अस्पतालों और लगभग 155 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मरीजों को जेनेरिक दवाई निःशुल्क उपलब्ध कराने की कार्य-योजना की समीक्षा की. उन्होंने अधिकारियों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त से इस योजना की शुरूआत करने के लिए जरूरी तैयारियां जल्द पूर्ण करने के निर्देश दिए.

उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में योजना शुरू करने के बाद आगामी चरणों में इसका विस्तार अन्य अस्पतालों में भी किया जाएगा. डॉ. सिंह ने कहा कि ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में जेनेरिक दवाइयां सस्ती होती है, लेकिन उनकी क्वालिटी ब्रांडेड दवाओं से जरा भी कम नहीं होती. उनका असर भी ब्रांडेड दवाओं की तरह होता है. इसलिए जेनेरिक दवाइयां आर्थिक दृष्टि से आम जनता की पहुंच में होती है. सभी डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयां अनिवार्य रूप से लिखने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी सरकारी डॉक्टरों को मरीजों के लिए जेनेरिक दवाइयां लिखने के निर्देश जल्द जारी किए जाएं. बैठक में बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग ने जेनेरिक दवाइयों के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे और अब तक सात सौ में से दो सौ जेनेरिक दवाइयां प्राप्त हो चुकी है. शेष दवाइयों की पूर्ति भी समय पर करने के निर्देश दिए गए है. डॉ. रमन सिंह ने आज की बैठक में राज्य में जेनेरिक दवाइयों की आपूर्ति के लिए बनी कार्य-योजना का प्रस्तुतिकरण भी देखा.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा कानून बनाकर गरीबों के लिए सस्ते राशन की समुचित व्यवस्था की है और इस कानून के जरिये प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और भी बेहतर बनाकर दस हजार से ज्यादा उचित मूल्य दुकानों के जरिये उसका सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम उचित मूल्य दुकानों से गरीबों को एक रूपए और दो रूपए किलो तथा सामान्य उपभोक्ताओं को साढ़े नौ रूपए किलो के किफायती मूल्य पर चावल दे सकते हैं, तो प्रदेशवासियों को सरकारी अस्पतालों के जरिये सस्ती दवाइयां भी आसानी से दी जा सकती हैं.

बैठक में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री श्री हेमचंद यादव, वित्त और योजना विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री डी.एस. मिश्रा, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री एम.के. राउत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा के विगत बजट सत्र में राज्य सरकार के चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 का बजट प्रस्तुत करते हुए प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने की घोषणा की थी. जेनेरिक दवाइयां जिला अस्तालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में सभी मरीजों को निःशुल्क दी जाएगी. चाहे वे आउट डोर मरीज हो अथवा स्वास्थ्य बीमा योजना के स्मार्ट कार्डधारक परिवार के मरीज.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री एम.के.राऊत ने इस संबंध में बताया कि जेनरिक दवाईयों के वितरण के लिए विभाग के आयुक्त, संचालक और प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोरेशन को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जारी निर्देश में कहा गया है कि औषधियों का क्रय अनिवार्य सूची के आधार पर किया जाएगा. ऐसी औषधियां जो अनिवार्य सूची में शामिल नहीं है, उसे स्थानीय स्तर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सविल सर्जन खरीद सकेंगे, लेकिन यह राशि उपलब्ध आवंटित बजट का 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी.

अनिवार्य औषधि सूची में शामिल दवाईयों का क्रय छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन द्वारा किया जाएगा. दवाईयों की संस्थावार वार्षिक मांग मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओ के माध्यम से छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन को प्रस्तुत की जाएगी. छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन द्वारा अनिवार्य दवा सूची के अनुसार निविदा दर तय किए जाएंगे. दवाओं का भण्डारण एवं वितरण छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन द्वारा किया जाएगा. कार्पोरेशन द्वारा तीन माह की आवश्यकता के अनुसार दवाएं भण्डार में रखी जाएगी और दो माह की आवश्यकतानुसार दवा का अग्रिम क्रय आदेश जारी किया जाएगा.

सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में औषधियों का एक पासबुक संधारित किया जाएगा. उसी के आधार पर मांग पत्र प्रस्तुत किया जाएगा. छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन सभी प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सिविल अस्पतालों तक दवाईयों का परिवहन सुनिश्चित करेगी. चिकित्सा महाविद्यालयों एवं जल चिकित्सा महाविद्यालयों से सम्बद्ध अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं को परिवहन की व्यवस्था स्वयं करनी पड़ेगी.

सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में एक स्टॉक मॉनीटरिंग सिस्टम स्थापित किया जाएगा, जो छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन के कम्प्यूटर सिस्टम से जुड़ा रहेगा. इससे स्वास्थ्य संस्थाओं में अनिवार्य दवाईयों की कमी को समय रहते पहचान कर उपलब्ध कराया जा सकेगा. मरीजों को दवा का वितरण अस्पताल में फार्मासिस्ट द्वारा किया जाएगा. फार्मासिस्ट उपलब्ध नहीं होने पर जीवन दीप समिति स्थानीय स्तर पर फार्मासिस्ट की संविदा पर नियुक्ति कर सकेगी. सभी मरीजों को जेनरिक दवाईयां निःशुल्क दी जाएगी. निर्देश में कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मरीज को दवा मिलने में दस मिनट से अधिक समय तक प्रतीक्षा न करना पड़े, जहां आवश्यक हो, वहां जीवनदीप समिति अतिरिक्त फार्मासिस्ट संविदा नियुक्ति कर सकती है.

सभी अस्पतालों को अनिवार्य औषधि सूची और प्रत्येक दवा के स्टॉक की दैनिक स्थिति दवा वितरण केन्द्र पर अनिवार्यतः प्रेषित करना होगा.

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