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छत्तीसगढ़ में वनाधिकार पट्टों पर रोक

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य में वनाधिकार पट्टों के वितरण पर रोक दी है. मुख्य न्यायधीश पीआर रामचंद्रन मेमन और न्यायमूर्ति पीपी साहू ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुये पट्टा वितरण पर दो माह की रोक के साथ ही शासन को जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने माना कि याचिका में उठाए गए मुद्दों पर शीघ्र सुनवाई आवश्यक है. याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि वनों को काट कर वन अधिकार पट्टा प्राप्त किया जा रहा है. उन्होंने कोर्ट के समक्ष कहा कि, सर्वोच्च न्यायालय में सीतानदी अभ्यारण्य में वन भैसों के संरक्षण के लिए टीएन गोधावर्मन की याचिका पर वर्ष 2012 में वनभैसों का संरक्षण करने तथा वनों में से कब्जों को हटाने के आदेश दिए थे.

इसमें आवश्यक होने पर वन क्षेत्रों में बांटे गए पट्टों को निरस्त करने के भी आदेश दिए गए थे. उन्हीं जंगलों में वनों की अवैध कटाई हो रही है. याचिकाकर्ता के मुताबिक हाईकोर्ट ने कहा कि इन मुद्दों पर सरकार ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की है.

याचिका में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में सितंबर 2018 तक चार लाख एक हजार 551 पट्टे अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी को बांटे गए. छत्तीसगढ़ में वनों का भाग लगभग 42 प्रतिशत है, जिसमें से 3412 वर्ग किलोमीटर जो कि कुल वन भूभाग का 6.14 प्रतिशत वन अधिकार पट्टे के रूप में बांटा गया.

निरस्त किए गए वन अधिकार पट्टों पर पुनर्विचार के नाम पर अपात्रों को पट्टे बांटे जा रहे है. नवंबर 2015 तक चार लाख 97 हजार 438 पट्टों के आवेदनों को निरस्त कर दिया गया, लेकिन पुनर्विचार कर के मार्च 2018 तक निरस्त पट्टों की संख्या घटकर चार लाख 55 हजार 131 रह गई.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में हो रही वनों की कटाई के फोटो प्रस्तुत करते हुए बताया कि पेड़ो की छाल को नीचे से काट कर उन्हें मार दिया जाता है. पेड़ो को जलाया जाता है. टाईगर रिजर्व क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान बनाये गये है. वहां कई स्थानों में इंटे-भट्ठे हैं.

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