महिलाओं को दे ‘फोर्टिफाइड फूड’
जयपुर | एजेंसी: भारत में रक्त अल्पता से लड़ने के लिये महिलाओं तथा बच्चों को ‘फोर्टिफाइड फूड’ दिया जाना चाहिये. हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार शरीर में जिंक की कमी, सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे विटामिन-ए, रिबोफ्लेविन, फोलिक एसिड, विटामिन डी की कमी के कारण 70 प्रतिशत महिलाएं, बालिकाएं, बालक और किशोरियां एनिमिया से जूझ रही हैं. मातृत्व कुपोषण भारत में कम वजन के बच्चे पैदा होने का प्रमुख कारण है तथा जन्म लेने वाला करीब-करीब हर तीसरा बच्चा कम वजन का है, इसलिए भारतीय महिलाओं, बालिकाओं और किशोरियों को आवश्यक फोर्टिफाइड आहार की जरूरत है.
महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की इस समस्या पर सोमवार को जयपुर में ‘फूड फोर्टिफिकेशन इन राजस्थान : समृद्ध भोजन और समृद्ध जीवन’ विषय पर ग्लोबल एलायंस फॉर इंप्रूव्ड न्यूट्रीशन, गेन ने इंडियन इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च के सहयोग से एक परिचर्चा का आयोजन किया गया.
केंद्रीय पोषण नियंत्रण ब्यूरो की तकनीकी रिपोर्ट और नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन द्वारा करवाए गए उपभोक्ता सर्वे के अनुसार दोपहर के भोजन में विटामिन-ए की मात्रा निर्धारित मानक से भी कम मात्रा में दी जा रही है.
हाउसहोल्ड कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे का 68वां चरण इस बात को इंगित करता है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रति व्यक्ति गेहूं, तेल और दूध का खपत राष्ट्रीय औसत से अधिक है.
गेन के कंट्री मैनेजर एवं वरिष्ठ सलाहकार आर. शंकर ने कहा, “भारत में कुपोषण का स्तर काफी ऊंचा है. राष्ट्र का स्वास्थ्य मापदण्ड सूक्ष्म पोषक तत्वों और कुपोषण की कमी को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है. फूड फोर्टिफिकेशन के माध्यम से पोषक आहार को इस प्रकार विकसित किया जाए जो वहां की संस्कृति और हालात के अनुरूप हों, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए, जिससे लोगों की सेहत में सुधार हो.”
उन्होंने बताया कि गेन राजस्थान और मध्य प्रदेश में विभिन्न साझीदारों के साथ मिलकर आटा, खाद्य तेल, दूध एवं बच्चों के लिए पूरक आहार एवं मध्याह्न भोजन का वितरण केंद्रीकृत रसोइयों के माध्यम से करवा रहा है.
उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष दोनों प्रदेशों में 5,000,000 टन से अधिक खाद्य तेल, 540,000 टन दूध और 360,000 टन आटे को फोर्टिफाइड कर नौ करोड़ लोगों तक पहुंचा रहा है.
इस अवसर पर गेन के ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रीशन के कार्यकारी निदेशक मार्क एमरीगेन ने कहा, “खाद्य सुरक्षा मानव का बुनियादी अधिकार है. भोजन हमारी आवश्यकता है जिसका उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणन सुरक्षात्मक तरीके से हो, ताकि ग्राहक को उन्नत पोषण मिल सके.”
आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय के निदेशक एस. डी. गुप्ता ने कहा, “राजस्थान सरकार ने अपने बजट में फोर्टीफाइड आटा, तेल और डबल फोर्टिफाइट नमक का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से किए जाने की घोषणा की है.”
विगत चार-पांच वर्षो से गेन और आईआईएचएमआर ने अपनी पहुंच रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, बंग इंडिया प्रा. लि., महेश एडिबल ऑयल लिमिटेड एवं अजंता सोया लिमिटेड जैसे छह बड़े तेल परिशोधक इकाइयों तक पहुंच बनाई है. यह इकाइयां 2,40,000 टन फोर्टिफाइड तेल का वार्षिक उत्पादन कर रही हैं.
गेन की भारत में प्रबंधक दिप्ती गुलाटी ने कहा, “आटा हो या दूध, इसे फोर्टिफाइड करने पर अधिक खर्च भी नहीं आता. आटे व तेल को फोर्टिफाइड करने पर पांच से 10 पैसा प्रतिकिलो का खर्च आता है, जबकि दो पैसा प्रतिकिलो की दर पर दूध को फोर्टिफाइड किया जा सकता है.”