5 बार के विधायक पूर्व मंत्री कमल पटेल अब सांसद प्रतिनिधि !
भोपाल| डेस्कः मध्यप्रदेश में पांच बार के विधायक और पूर्व मंत्री कमल पटेल को सांसद प्रतिनिधि बनाए जाने पर राजनीतिक गलियारे में बहस शुरु हो गई है.
लोगों का कहना है कि कमल पटेल ने आखिर अपने रूतबे से समझौता क्यों किया? पार्षद से भी काफी नीचे वाला पद आखिरकार लिया तो लिया क्यों?
केन्द्रीय मंत्री व बैतूल सांसद दुर्गादास उड़के ने पूर्व मंत्री कमल पटेल को हरदा जिले का सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया है. ऐसे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर पूर्व मंत्री ने यह पद क्यों स्वीकार किया है.
यह पहली बार नहीं है. इससे पहले 2014 से 2018 तक कमल पटेल सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं. लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही गरमा गया है.
बताया जा रहा है कि इस बार यह नियुक्ति राजनीतिक खींचतान का नतीजा है.असली वजह जिला योजना समिति की बैठकों में शामिल होना है.
दरअसल हरदा नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की पार्षद भारती राजू कमेडिया को अध्यक्ष चुना गया था.
उनके पति राजू अब तक सांसद प्रतिनिधि के तौर पर बैठकों में शामिल होते थे. अब इन बैठकों में पूर्व मंत्री पटेल खुद हिस्सा लेना चाहते थे.
कोई पद न होने के कारण वे ऐसा नहीं कर पा रहे थे. इसलिए उन्होंने सांसद प्रतिनिधि बनना स्वीकार कर लिया.
विपक्ष ने खड़ा किया सवाल
विपक्ष ने कमल पटेल की इस नियुक्ति पर सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया है.
विपक्षी नेताओं का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी कलह चल रही है. इसकी वजह से पूर्व मंत्री कमल पटेल जैसे वरिष्ठ नेता को कम प्रतिष्ठित पद दे दिया गया है.
हरदा से वरिष्ठ नेता कमल पटेल प्रदेश सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं.
बाबूलाल गौर की सरकार में पटेल चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण का राज्य मंत्री बनाया गया था.
बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत कर दिया गया था.
इसी तरह शिवराज सिंह चौहान की सरकार में भी कमल पटेल को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.
उन्हें राजस्व, धार्मिक ट्रस्ट और बदोबस्ती और पुनर्वास विभागों का प्रभार दिया गया.