देश में बढ़ा जंगल, छत्तीसगढ़ में घटा
रायपुर | संवाददाता: देश भर में भले जंगल बढ़ा हो लेकिन छत्तीसगढ़ में लगभग एक हज़ार वर्ग किलोमीटर जंगल साफ हो गया. यह तब है, जब राज्य सरकार हर साल पौधारोपण के नाम पर तरह-तरह के त्यौहार मना रही है और करोड़ों की संख्या में पौधे लगाने का दावा करती रही है. सरकारी दावे और आंकड़ों पर यकीन करें तो पिछले 17 सालों में छत्तीसगढ़ के कूल क्षेत्रफल से अधिक इलाके में सरकार ने पौधे लगाये हैं. लेकिन केंद्र सरकार के आंकड़ों ने सरकारी दावे की पोल खोल कर रख दी है.
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2015 में देश का कुल वन क्षेत्र 7.01 लाख वर्ग किलोमीटर था, जो 2017 में बढ़ कर 7.08 लाख वर्ग किलोमीटर हो गया. छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों ओडिशा, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में भी तेजी से वनों का क्षेत्रफल बढ़ा लेकिन छत्तीसगढ़ के आंकड़े हैरान करने वाले हैं.
देश में सर्वाधिक सुरक्षाबल की तैनाती के बाद भी राज्य के माओवाद प्रभावित इलाकों में जंगल साफ हो गया. 2015 की तुलना में 2017 के आंकड़े देखें तो अकेले नारायणपुर में 6 वर्ग किलोमीटर का जंगल कट गया. बीजापुर और कांकेर में 3-3 वर्ग किलोमीटर जंगल काट दिया गया. इसी तरह बस्तर और दंतेवाड़ा जिले में भी एक-एक किलोमीटर जंगल कम हो गया. जांजगीर-चांपा, कबीरधाम और सरगुजा में भी एक-एक वर्ग किलोमीटर जंगल का क्षेत्रफल कम हो गया.
भारतीय वन सर्वेक्षण के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि 2015 में छत्तीसगढ़ में 55,547 वर्ग किलोमीटर यानी कुल क्षेत्रफल का 41.09 प्रतिशत वन क्षेत्र था. इसमें 7,064 वर्ग किलोमीटर अत्यंत सघन वन, 32,215 वर्ग किलोमीटर सामान्य सघन वन और 16,268 वर्ग किलोमीटर खुला वन है. लेकिन अब आंकड़े ऐसे नहीं हैं.
आंकड़ों के अनुसार सामान्य सघन वन के इलाकों में पिछले 17 सालों में बेतहाशा कटाई हुई है. राज्य बनने के बाद से लगभग 987 किलोमीटर का जंगल साफ हो गया है. 2001 में 245 वर्ग किलोमीटर, 2003 में 450 वर्ग किलोमीटर, 2005 में 129 वर्ग किलोमीटर, 2009 में 59 वर्ग किलोमीटर, 2011 में 4 वर्ग किलोमीटर, 2013 में 53 वर्ग किलोमीटर, 2015 में 35 वर्ग किलोमीटर और 2017 में 12 वर्ग किलोमीटर जंगल काट दिया गया. यह तब है, जब राज्य सरकार ने इस दौरान कई हजार वर्ग किलोमीटर में पौधारोपण का भी दावा किया है. लेकिन कागजों में रोपे गये पौधे राज्य का वन क्षेत्र नहीं बढ़ा सके.