यह ‘भाजपा लहर’ नहीं है
रायपुर | सीजीखबर विश्लेषण: भाजपा ने पांच राज्यों में महज 7.7 फीसदी विधानसभा सीटें ही जीती है. इसकी तुलना में भाजपा ने साल 2013 में हुये पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 50.3 फीसदी विधानसभा की सीटें जीती थी जिससे मोदी लहर बनी थी. उसी लहर के बल पर भाजपा को साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भारी-भरकम सफलता मिली थी. हालिया पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को कुल 822 विधानसभा सीटों में से महज 64 विधानसभा सीटों पर ही सफलता मिल पाई है जबकि साल 2013 के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में उसे कुल 630 विधानसभा सीटों में से 317 पर सफलता मिली थी.
हालिया चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा को 294 सीटों में से 3 सीटें तथा 10.2 फीसदी मत मिले हैं.
असम में भाजपा को 126 विधानसभा सीटों में से 60 सीटें तथा 29.5 फीसदी मत मिले हैं.
केरल में भाजपा को 140 सदस्यीय विधानसभा में 1 सीट तथा 10.5 फीसदी मत मिले हैं.
तमिलनाडु के 232 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा को कोई सीट नहीं मिली तथा मात्र 2.8 फीसदी मत मिले हैं.
पुड्डुचेरी की 30 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा को कोई सीट नहीं मिली है तथा उसे 2.4 फीसदी मत मिले हैं.
कुलमिलाकर 5 राज्यों के 822 विधानसभा सीटें में भाजपा के खाते में 64 सीटें गई हैं. इस तरह से भाजपा को महज 7.7 फीसदी विधानसभा सीटों पर ही सफलता मिल पाई है. इससे ज्यादा सीटें तो पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस तथा तमिलनाडु में एआईडीएमके को मिली है.
जाहिर है कि दो बड़े राज्यों पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु में भाजपा का जादू न चल सका है.
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2013 में हुये पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जिसमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली तथा मिजोरम के चुनाव शामिल थे में भाजपा को कुल 630 विधानसभा सीटों में से 317 विधानसभा सीटों पर सफलता मिली थी.
इस तरह से भाजपा को 2013 के विधानसभा चुनावों में जिस साल 2014 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था में कुल 50.3 फीसदी सीटों पर सफलता मिली थी.
यह सत्य है कि भाजपा ने पहली बार असम में अपने झंडे गाड़े हैं. उसने केरल तथा पश्चिम बंगाल विधानसभाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है. यह सफलता भी दो साल सत्ता में रहने के बाद कोई कम बात नहीं है. लेकिन इससे 2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा तथा 2019 के लोकसभा चुनाव में कोई असर पड़ेगा यह कह पाना अभी मुश्किल ही है.
हां भाजपा ने एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में बढ़त बनाई है. नये इलाकों में समर्थन पाया है. उत्तरांचल की खटास को कम किया है, बिहार की हार के बाद एक नये राज्य में जीत हासिल की है भले ही बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट का समर्थन लिया है परन्तु भाजपा ने अपने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है.
दूसरी तरफ लेफ्ट ने पश्चिम बंगाल में हार के बावजूद अपनी उपस्थिति 1 राज्य से बढ़ाकर 2 राज्यों में कर ली है.
यह भाजपा की जीत को कमतर आंकने की हरगिज भी कोशिश नहीं है. न ही भाजपा के प्रति हमारा कोई पूर्वाग्रह है. हम तो केवल आकड़ों की बात कर रहें हैं. हमारी शुभकामनायें जनता की दुश्वारियों को कम करने का प्रयास करने वाली सभी राजनीतिक दलों के साथ है.