एक पेड़ के लिये कलेक्टर पर एफआईआर
बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में एक पेड़ बचाने के लिये कलेक्टर के खिलाफ एफआईआर की गई है.बिलासपुर जिले के कलेक्टर के अलावा नगर निगम के कमिश्नर के खिलाफ भी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है.
बिलासपुर शहर की अरपा नदी के किनारे इन दिनों चौड़ीकरण का काम चल रहा है. जिला प्रशासन ने जब 80 फीट चौड़ी इस रिवर व्यू सड़क के बीच में बरसों पुराने एक नीम के पेड़ को काटने का आदेश दिया तो सामाजिक कार्यकर्ता सड़क पर आ गये. आम आदमी पार्टी, माकपा, कांग्रेस पार्टी के साथ साथ शहर के पत्रकार और महापौर वाणी राव ने भी इस मामले में विरोध दर्ज कराया.
शहर के नागरिकों ने इस मामले में सबसे पहले कलेक्टर से शिकायत की और उनसे पेड़ को नहीं काटने का अनुरोध किया. लेकिन जब कलेक्टर ने उनकी राय नहीं मानी तो सैकड़ों की संख्या में आम जनता नीम के पेड़ को बचाने के लिये सड़क पर आ गई.
इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने शहर के कोतवाली थाने में कलेक्टर रामसिंह ठाकुर और नगर निगम के कमिश्नर अवनीश शरण के खिलाफ नामजद शिकायत दर्ज कराई. कलेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने की खबर तेजी से प्रशासनिक अमले में फैली, इसके बाद थाना प्रभारी ने यह कहते हुये अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि फिलहाल शिकायत मिली है.
क्या है एफआईआर
जस्टिस एच. के. चीमा और जस्टिस पी. के. बालासुब्रमण्यम की बेंच ने 25 अक्टूबर 2006 को स्पष्ट किया है कि पुलिस शिकायत में लगाए गए आरोपों के आधार पर ही प्रथम सूचना रिपोर्ट यानी एफआईआर दर्ज करने के लिए बाध्य है. अदालत ने कहा कि पुलिस को शिकायत के आधार पर ही आरोपों की जांच करनी होगी. जांच से पहले पुलिस आरोपों की सच्चाई पर सवाल नहीं उठा सकती. अदालत ने कहा था कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह न्याय के साथ खिलवाड़ होगा.
बेंच ने कहा था कि अपराध संहिता की धारा 154 में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख है कि पुलिस थाने के प्रमुख को यदि किसी सजा योग्य अपराध की सूचना मिलती है, तो उसके सामने इस सूचना के आधार पर जांच करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है. संबंधित पुलिस अधिकारी को इसी आधार पर मामला दर्ज करना होता है और आगे की कार्रवाई करनी होती है. अदालत ने कहा था कि धारा 154 के तहत मामला दर्ज करने के लिए किसी भी सूचना या शिकायत की विश्वसनीयता और असलियत आधार नहीं है.