कलारचना

‘मौगेंबो’ का फिल्मी सफरनामा

मुंबई | मनोरंजन डेस्क: अमरेश पुरी को उनके फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के डायलाग ‘मौगेंबो खुश हुआ’ ने हमेशा के लिये अमर कर दिया है. हिन्दी फिल्मों ने दर्शकों को तीन खलनायक दिये हैं जिन्हे आज भी याद किया जाता है फिल्म ‘शोले’ के ‘गब्बर सिंह’, ‘शान’ के ‘शाकाल’ तथा ‘मिस्टर इंडिया’ के ‘मौगेंबो’. इसी तरह से फिल्म ‘शोले’ के डायलाग ‘कितने आदमी थे’ के बाद ‘मौगेंबो खुश हुआ’ का स्थान आता है. यहां पर हम खलनायकों के द्वारा बोले गये डायलाग की बात कर रहें हैं. आज अमरेश पुरी हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उनके बोले डायलाग हर उस व्यक्ति को याद है जिन्होंने फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ देखी थी. अमरेश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को हुआ था तथा 12 जनवरी 2005 के दिन 72 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया छोड़ दी थी.

अमरेश पुरी ने फिल्मों के अलावा स्टेज पर भी अपने अभिनय का कारनामा दिखाया है. उनकी इच्छा थी कि वे बालीवुड के हीरों बने परन्तु किस्मत ने उन्हें खलनायक बना दिया. बाद में अमरेश पुरी ने कई फिल्मों में चरित्र अभिनेता का यादगार किरदार किया. अमरेश पुरी, चरित्र अभिनेता मदन पुरी के भाई हैं. उन्होंने 1984 मे बनी स्टीवेन स्पीलबर्ग की फ़िल्म ‘इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ़ डूम’ में मोलाराम की भूमिका निभाई जो काफ़ी चर्चित रही. इस भूमिका का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने हमेशा अपना सिर मुँडा कर रहने का फ़ैसला किया. इस कारण खलनायक की भूमिका भी उन्हें काफ़ी मिली.

अमरेश पुरी को 1986, 1997 तथा 1998 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार मिला था.

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