नहीं लौटी दंतेवाड़ा अँखफोड़वा कांड पीड़ितों की आंखों की रोशनी
दंतेवाड़ा|संवाददाताः छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा अँखफोड़वा कांड में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में गलत दवाइयों के बाद रायपुर में फिर से सर्जरी करवाने के बाद भी बस्तर के आदिवासी बुजुर्गो की आंखों की रोशनी वापस नहीं लौटी. जबकि दोबारा ऑपरेशन कराए दो माह से भी अधिक समय हो गया है. डॉक्टरों ने कहा था कि कुछ दिनों बाद आंखों की रोशनी वापस आ जाएगी. पर ऐसा एक भी मरीज के साथ नहीं हुआ.
पीड़ितों ने आरोप लगाया है कि अब स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी इन लोगों का उपचार तो दूर हालचाल पूछने तक नहीं आ रहे हैं. इन पीड़ितों में कुछ बुजुर्ग ऐसे भी हैं जो पहले से दिव्यांग थे अब आंखों की रोशनी भी चली गई, इससे दोहरी मार झेल रहे हैं.
इस घटना से परेशान आदिवासियों का सब्र भी अब टूटने लगा है. मरीजों के परिवार सीधे तौर पर अब स्वास्थ्य विभाग पर जबरदस्ती ऑपरेशन कर आंखें फोड़ने का आरोप लगा रहे हैं. साथ ही सरकार से मुआवजा की मांग भी कर रहे हैं.
उदेला गांव के पीड़ित बेल्ली के बेटे गणेश ने बताया कि रायपुर में दोबारा ऑपरेशन कराने के बाद भी मेरी मां की आंखों की रोशन वापस नहीं लौटी है. उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है. मां के साथ पिताजी की भी सर्जरी हुई थी. उसे भी धुंधला दिख रहा है. उन्होंने सरकार से शीघ्र ही मुआवजा देने की मांग की है.
क्या था मामला
ज्ञात हो कि दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में 22 अक्टूबर 2024 को 20 आदिवासी बुजुर्गों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था.
ऑपरेशन के बाद 17 मरीजों को आंख में खुजली, दर्द और दिखना बंद हो गया था. आरंभिक जानकारी में ये बात सामने आई कि दवाइयों में गड़बड़ी के कारण ऐसा हुआ था.
आनन-फानन में सभी मरीजों को 24 अक्टूबर को रायपुर रेफर किया गया.
इसके बाद इनमें से कुछ मरीजों का रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल में दोबारा ऑपरेशन किया गया था.
दूसरी ओर दंतेवाड़ा में ऑपरेशन करने वाली डॉ. गीता नेताम और स्टाफ नर्स ममता वेदे और नेत्र सहायक अधिकारी दीप्ति टोप्पो को निलंबित कर दिया गया था.
पहले से दिव्यांग, अब आंखें भी गई
बताया गया कि उदेला गांव के पांच लोगों की दंतेवाड़ा में सर्जरी की गई थी. जिसमें से दो लोगों को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है. वहीं दो लोगों को धुंधला दिख रहा है.
इनमें से एक की बीमारी से मौत हो गई है. कुछ ना दिखने वालों के नाम सोनी और पेदिए है.
बुजुर्ग सोनी पहले से ही दिव्यांग हैं. उन्हें चलने में काफी परेशानी होती है. इन दिनों वह व्हीलचेयर के सहारे चल रही हैं.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा व्हीलचेयर की मांग करने के बाद भी उपलब्ध नहीं करवाई गई. मजबूरी में परिजनों ने 12 हजार रुपये में बाजार से व्हीलचेयर खरीदी है.
बताया गया कि सोनी को दिव्यांग पेंशन तक नहीं मिलता है.
इसी प्रकार पीड़ित पेदिए को चलने-फिरने के लिए सहारे की जरूर पड़ रही है. अपने नाती के सहारे वह चल रही हैं.