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आज भी बिजली को तरस रहे हैं बस्तर से 389 गांव

जगदलपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सैकड़ों गांवों में आज भी बिजली नहीं पहुंची है. यहां के लोग आज भी अंधेरे में जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

बिजली जैसी मूलभूत सुविधा नहीं होने से यहां के आदिवासी ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. घने जंगल में बसे यहां के ग्रामीण आज भी मशाल और लालटेन जला कर गुजारा करते हैं. अब तो इन ग्रामीणों के लिए बिजली एक सपना हो गया है क्योंकि बिजली की मांग करते-करते वे थक गए हैं, पर इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

बस्तर संभाग के 6 जिलों के लगभग 389 गांव ऐसे हैं, जहां आज भी बिजली नहीं पहुंची है. इनमें से कुछ गांवों में तो सालों से बिजली के खंबे भी लगे हैं, लेकिन बिजली नहीं पहुंची.

यहां के ग्रामीण बिजली की मांग करते हुए अपने स्तर पर सभी प्रयास कर चुके हैं. जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासन तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन इन्हें आश्वासन के अलावा अभी तक कुछ नहीं मिला है.

यहां के लोग सूरज की रोशन में अपना काम निपटाते हैं और सूर्यास्त होते ही लोग अपने घरों में दुबक जाते हैं.

इन जिलों में नहीं है बिजली

बस्तर संभाग के बस्तर जिले के 4, दंतेवाड़ा जिले में 7, बीजापुर जिले में 203, कांकेर जिले में 26, कोंडागांव जिले में 4 और नारायणपुर जिले में 145 गांव हैं, जहां बिजली नहीं है.

इनमें से तीन जिलों बीजापुर, कांकेर और नारायणपुर के गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.

इनमें से बीजापुर जिले के फरसनार, करपे, गर्तुल, अरेंनपल्ली, गुंडापुरी, गुंडनगुर, करकवाड़ा, चिपन्नपल्ली, जारागुड़ा, छोटेकाकलेर,चेरपल्ली, पिलूर, अन्नापुर, साफीमरका, भंडारपाल आदि गांव हैं.

इसी तरह नारायणपुर जिले के हिक्कोनार, टिरकानार, तुरुसमेटा, होड़नार, सुरेवाही, अंजरेल,टेमरुगांव, बोरानिरपी, कोडोनार आदि गांव शामिल हैं, जहां बिजली नहीं है.

बच्चे नहीं कर पा रहे हैं पढ़ाई

बिजली नहीं होने से सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है. बिजली के अभाव में बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.

किसान भी खेती के लिए पूरी तरह से मौसम पर ही निर्भर है. यहां के ग्रामीणों को जंगली जानवरों का भय भी हमेशा सताता रहता है.

घने जंगल होने के कारण यहां आए दिन सांप-बिच्छू तो निकलते ही रहते हैं.

यहां के कई ग्रामीण रात के समय सर्पदंश का शिकार होकर अपनी जान भी गवां चुके हैं.

इस संबंध में विद्युत कंपनी का कहना है कि ये गांव पहुंच विहीन है. साथ ही साथ काफी दुर्गम और नक्सल प्रभावित है. सड़क नहीं बनने के कारण यहां ट्रकों से बिजली पोल व ट्रांसफार्मर गांव तक नहीं पहुंच पा रहा हैं. जिसके चलते बिजली नहीं पहुंच पा रही है.

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