छत्तीसगढ़

हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा लागू

रायपुर | समाचार डेस्क: हड़ताली ‘संजीवनी’ तथा ‘महतारी’ एक्सप्रेस के कर्मचारियों पर एस्मा लागू कर दिया है. 2 जून से इन दोनों एंबुलेंस के चालक तथा तकनीशियन हड़ताल पर हैं. छत्तीसगढ़ सरकार ने लोकहित में संजीवनी 108 और महतारी एक्सप्रेस 102 की सेवाओं को अत्यावश्यक सेवा घोषित किया है और इन सेवाओं पर छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विछिन्नता निवारण अधिनियम 1979 लागू कर दिया है. एस्मा के तहत इन सेवाओं के हड़ताली कर्मचारी अपने-आप बर्खास्त होंगे.

गृह विभाग ने गुरुवार शाम महानदी भवन से एस्मा का आदेश जारी कर दिया. आदेश के अनुसार लोकहित में यह आवश्यक तथा समीचीन है कि लोक स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत इन अत्यावश्यक सेवाओं में कार्य करने से इंकार नहीं किया जा सकेगा. यह आदेश 9 जून से 3 माह तक लागू रहेगा.

आदेश जीव्हीके इमरजेंसी मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली 108 संजीवनी एक्सप्रेस और 102 महतारी एक्सप्रेस के अंतर्गत संचालित आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं पर लागू होगा.

गौरतलब है कि 2 जून गुरुवार से छत्तीसगढ़ की सभी ‘संजीवनी’ तथा ‘महतारी’ एक्सप्रेस हड़ताल पर हैं. दअसल मरीजों तथा गर्भवती महिलाओं को मुफ्त में अस्पताल पहुंचाने वाली सरकारी एंबुलेंस संजीवनी तथा महतारी एक्सप्रेस के चालक तथा तकनीशियन हड़ताल पर हैं. इस कारण से छत्तीसगढ़ में संजीवनी तथा महतारी एक्सप्रेस की सुविधा नहीं मिल पा रही है.

छत्तीसगढ़ में संजीवनी एक्सप्रेस की संख्या 240 तथा महतारी एक्सप्रेस की संख्या 300 के करीब है.

हड़ताली संजवनी तथा महतारी एक्सप्रेस के कर्मचारियों की मांग है कि उऩके निकाले गये 200 साथियों को काम पर वापस रखा जाये. हड़ताली कर्मचारी अब तृतीय वर्ग सरकारी कर्मचारी के बराबर वेतन की मांग भी कर रहें हैं. इसी के साथ ओवर टाइम मिलने की मांग भी शामिल है.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में 108 संजीवनी एक्सप्रेस पिछले पांच सालों से तथा 102 महतारी एक्सप्रेस दो सालों से सेवायें दे रही है. इतने कम समय में ही इन दोनों सरकारी योजनाओँ ने राज्य के लाखों लोगों को मुश्किल वक्त पर 25 से 30 मिनट के भीतर समीप के अस्पताल तक पहुंचाया है.

हालांकि सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी है परन्तु उससे संजीवनी एक्सप्रेस तथा महतारी एक्सप्रेस की सेवाओँ की भरपाई नहीं हो पा रही है. ख़ासकर छत्तीसगढ़ के दूर-दराज के गांवों में मरीजों को अस्पताल ले जाने में परिजनों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

एस्मा
एस्मा संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था. इसके जरिये हड़ताल के दौरान लोगों के जनजीवन को प्रभावित करने वाली अत्यावश्यक सेवाओं की बहाली सुनिश्चित कराने की कोशिश की जाती है.

इसमें अत्यावश्यक सेवाओं की एक लंबी सूची है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन (बस सेवा, रेल, हवाई सेवा), डाक सेवा, स्वास्थ्य सेवा (डॉक्टर एवं अस्पताल) जैसी सेवाएं शामिल हैं.

हालांकि राज्य सरकारें स्वयं भी किसी सेवा को अत्यावश्यक सेवा घोषित कर सकती हैं.

जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में एस्मा लागू किया जा सकता है. एस्मा भले ही केंद्रीय कानून है, लेकिन इसे लागू करने की स्वतंत्रता ज्यादातर राज्य सरकारों पर निर्भर है.

इसलिए देश के हर राज्य ने केंद्रीय कानून में थोड़ा परिवर्तन कर अपना अलग अत्यावश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम बना लिया है. राज्यों को यह स्वतंत्रता केंद्रीय कानून में ही प्रदान की गई है.

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