लेमरू एलिफेंट रिजर्व : न योजना, न हाथियों का संरक्षण
कोरबा|संवाददाताः छत्तीसगढ़ का लेमरू एलिफेंट रिजर्व बदहाली के दौर से गुजर रहा है. हालत ये है कि इस इलाके में स्थाई रुप से रह रहे हाथी भी रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं.
हाथियों के लिए न तो इस एलिफेंट रिजर्व में खाना-पानी है और ना ही उस दिशा में कोई प्रयास हो रहा है. बजट के अभाव में न तो योजना बन रही है और ना ही उसके क्रियान्वयन की दिशा में कुछ हो रहा है.
भोजन की तलाश में रिहायशी क्षेत्रों में पहुंचे हाथी लगातार उत्पात मचा रहे हैं. वहीं मानव और हाथी द्वंद्व की स्थिति निर्मित हो रही है.
लेमरू एलिफेंट रिजर्व के लिए सरकार ने पिछले दो साल में लगभग 98 करोड़ रुपये का आबंटन जारी किया है. लेकिन समय पर आबंटन नहीं मिलने की वजह से इसमें से करीब 20 करोड़ रुपये की खर्च हुआ. उस पर भी बजट का बड़ा हिस्सा, एलिफेंट रिजर्व से बाहर खर्च किया गया.
न योजना और ना ही काम
वन मंडल के अधिकारियों का कहना है कि फंड के अभाव और देरी से राशि मिलने की वजह से हम एलिफेंट रिजर्व की योजना के अनुरूप काम नहीं करा पा रहे हैं.
बजट में लगातार कटौती की वजह से हाथियों के लिए जंगल में चारा-पानी के साथ ही अन्य आवश्यक सुविधा मुहैया कराना मुश्किल हो रहा है.
कैम्पा निधि से लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर में रहवास क्षेत्र विकास कार्य, मान-हाथी द्वंद प्रबंधन, भूजल संसाधन प्रबंधन और अधोसंरचना के तहत रेंजवार जंगलों में काम कराना है.
तीन जिलों के 11 रेंज शामिल
इस हाथी रिजर्व में कोरबा जिले के दोनों वनमंडल कटघोरा और कोरबा वनमंडल के साथ ही सरगुजा, रायगढ़ जिले के कुल 11 रेंज को इस दायरे में शामिल किया गया है. जिसमें केंदई, एतमानगर, उदयपुर, लखनपुर, कुदमुरा, पसरखेत, बालको, लेमरू, बोरो, कापू और धर्मजयगढ़ शामिल हैं.
इन सभी रेंजों के लिए 98 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. जिसमें से 20 करोड़ ही खर्च किया गया.
इनमें से कोरबा जिले के दोनों वनमंडलों में सात करोड़ रुपये ही खर्च किया गया. जिले के दोनों वनमंडलों के लिए पहले साल 4.75 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था.
वहीं दूसरे साल इस बजट में भारी भरकम कटौती करते हुए मात्र 57 लाख रुपये का ही बजट जारी किया गया है.
फंड दायरे से बाहर खर्च
हाथियों का उत्पात रोकने के लिए बनाए गए लेमरू एलिफेंट रिजर्व का फंड, दूसरे इलाकों पर ज़रुर खर्च हो रहा है.
यहां के फंड को अचानकमार टाईगर रिजर्व के लोरमी और बिलासपुर के बेलगहना में खर्च किया गया है.
जिसमें लोरमी में 35.74 लाख और बेलगहना में 9 लाख रुपये खर्च किया गया है.
कटघोरा में 50 हाथियों का झुंड
इन दिनों 50 हाथियों का झुंड कटघोरा वनमंडल के क्षेत्र में विचरण कर रहा है.
कुछ दिन पहले की इन हाथियों का दल कटघोरा वनमंडल से निकल कर सरहदी सीमा पर पहुंच गया था. अब हाथियों का झुंड एक बार फिर लौट चुका है.
हाथियों का दल यहां लगातार उत्पात मचा रहा है. रिहायशी इलाकों में मकानों को तोड़ने के साथ ही खेतों में धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहा है.
कटघोरा वनमंडल के केंदई और एतमानगर वन परिक्षेत्र के लगभग 30-40 गांवों के आसपास हाथियों का दल विचरण करता रहता है. जिसके चलते यहां के लोगों में दहशत का माहौल बना रहता है.