जहां बनना था हाथी रिजर्व, वहां होगा कोयला खनन
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ सरकार ने हसदेव अरण्य के जिस इलाके में एलीफेंट रिजर्व बनाने की घोषणा की थी, अब उसी इलाके को कोयला खनन के लिए दे दिया गया है. छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने सरकार के इस क़दम की आलोचना करते हुए कहा है कि यह आदिवासियों के साथ धोखा है.
हसदेव अरण्य बचाओ समिति और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के अनुसार हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा कोल ब्लॉक के लिए खनन परियोजना की स्थापना की सहमति छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने जारी की है. यह कोल खदान भी राजस्थान सरकार को आवंटित है और एमडीओ अडानी कंपनी के पास है.
1252 हेक्टेयर की इस खनन परियोजना में 841 हेक्टेयर वन क्षेत्र है.
आरोप है कि इस परियोजना की पर्यावरण स्वीकृति वर्ष 2019 में जारी हुई थीस जिसमें कंपनी द्वारा वाइल्डलाइफ बोर्ड के गलत और फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किये गए थे. बिना कैचमेंट अध्ययन के जल संसाधन विभाग ने भी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया था. यह तब है, जब पर्यावरण स्वीकृति का मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चल रहा है.
ग्रामीणों का कहना है कि इस परियोजना के लिए वन स्वीकृति भी फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव के आधार पर हासिल की गई थी, जिसकी शिकायत और जांच के लिए कुछ महीने पूर्व ही ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया था लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.
आरोप है कि इस परियोजना के लिए पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं को दरकिनार करके कोल बेयरिंग एक्ट के तहत भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही हुई. इस विषय पर भी उच्च न्यायालय में मामला चल रहा है और पिछले महीने ही न्यायालय ने संबंधित पक्षों को ग्रामीणों की याचिका पर नोटिस जारी किया है.
गौरतलब है कि इस कोल खदान के खिलाफ ग्रामीण एक दशक से आंदोलन कर रहे हैं और वर्ष 2019 में 75 दिनों तक अनिश्चिकालीन धरना प्रदर्शन किया था.