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झारखंड, जम्मू-कश्मीर किसका?

नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: जम्मू-कश्मीर तथा झारखंड में विधानसभा चुनवा की घोषणा कर दी गई है. इसी के साथ राजनीतिक हल्कों में कयासों का दौर जारी है कि इस बार इन दोनों राज्यो में किन पार्टियों का परचम लहरायेगा. जाहिर है कि वर्तमान शासक दल एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे कि गेंद उनके ही पाले में रहे. वहीं, भाजपा के लिये चुनौती होगी कि हरियाणा तथा महाराष्ट्र के ट्रेंड को जारी रखा जाये.

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं है तथा उसमें परिवर्तन लाने के लिये उसे अपनी विजय यात्रा को जारी रखना होगा. इसीलिये बहस का विषय यह है कि क्या भाजपा इन दोनों राज्यों में अपने विजय पताका को फहरा पायेगी. खासकर, जम्मू-कश्मीर में जहां लोकसभा चुनाव के पहले उसकी उपस्थिति नगण्य थी. इसके लिये पिछले चुनावों के नतीजों से कुछ कयास लगाये जा सकते हैं परन्तु असल स्थिति तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चल सकेगा.

2014 के आम चुनाव में भाजपा को जम्मू-कश्मीर से 3 लोकसभा की सीटों पर विजय मिला तथा बाकी के 3 लोकसभा सीटों पर मुफ्ती मोहम्मद सईद की जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने विजय हासिल की थी. इसी तरह से झारखंड में लोकसभा चुनाव के समय भाजपा को 12 तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा को 2 सीटें मिली. लोकसभा चुनाव के आकड़े इंगित करते हैं कि यदि वहीं ट्रेड जारी रहा तो झारखंड में भाजपा की सरकार बनना तय है तथा जम्मू-कश्मीर में जुगाड़ की गुंजाइश बनती है.

2009 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस को 3 सीट, कांग्रेस को 2 सीट तथा अन्य को 1 लोकसभा की सीट मिली थी. इस प्रकार से भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में 3 सीटों की छलांग लगाई है. गौरतलब है कि 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जम्मू-कश्मीर से एक भी सीट नहीं मिली थी.

वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव में झारखंड से भाजपा को 7, झारखंड मुक्ति मोर्चा को 2, कांग्रेस को 1, जेव्हीम को 2 तथा आएनडी को 2 सीट मिली थी. इस प्रकार से देखा जा सकता है कि झारखंड में भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 2009 की तुलना में 5 सीटों की छलांग लगाई थी. 2004 के लोकसभा चुनाव में झारखंड से भाजपा को केवल 1 ही सीट मिल पाई थी. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को 5, कांग्रेस को 6, राजद को 3, आईएनडी को 1 तथा सीपीआई तो 1 सीट मिल पाई थी.

2008 के विधानसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में भाजपा को 11, सीपीएम को 1, निर्दलीय को 4, कांग्रेस को 17, जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक पार्टी को 1, नेशनल कांफ्रेंस को 28, पेथर्स पार्टी को 3, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को 11 तथा पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट को 1 सीट मिली थी.

यदि इसे कुल मतदान में मिले मतों के रूप में देखा जाये तो भाजपा को 12.45 फीसदी, बसपा को 3.67 फीसदी, सीपीआई को 0.14 फीसदी, सीपीएम को 0.80 फीसदी, कांग्रेस को 17.71 फीसदी, एनसीपी को 0.19 फीसदी, राजद को 0.13 फीसदी, नेशनल कांफ्रेंस को 23.7 फीसदी, जम्मू-कश्मीर नेशनल पीपुल्स पार्टी को 3.33 फीसदी तथा जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट को 15.39 फीसदी मत मिले थे. जाहिर है कि सबसे ज्यादा मत नेशनल कांफ्रएंस को उसके बाद कांग्रेस को तथा तीसरे स्थान पर जम्मू-कश्मीर नेशनल पीपुल्स पार्टी रही थी.

झारखंड में 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में अजसू को 5, भाजपा को 18, सीपीआई एमएल को 1, निर्दलीय को 1, कांग्रेस को 14, जयभारत सामंत पार्टी को 1, जदयू को 2, झारखंड जनाधिकार मंच को 1, झारखंड मुक्ति मोर्चा को 18, झारखंड पार्टी को 1, झारखंड विकास मोर्चा को 11, मार्क्सिट कोआर्डिनेशन को 1, राजद को 5 तथा राष्ट्रीय कल्याण पक्ष को 1 सीट मिली थी. आकड़े बयां करते हैं कि 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा को सबसे ज्यादा तथा बराबर सीटें मिली थी. तीसरे स्थान पर कांग्रेस रही थी.

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