फिल्मकार ऋतुपर्णो घोष का निधन
कोलकाता: मशहूर फिल्म निर्देशक ऋतुपर्णो घोष का कोलकाता में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. वे 49 वर्ष के थे और काफी समय से पैंक्रियाइटिज़ से पीड़ित थे. घोष के निधन पर पूरे फिल्म जगत ने शोक प्रकट किया है. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि घोष की मृत्यु से रचनात्मकता को गहरा नुकसान पहुँचा है क्योंकि उन्होंने बॉक्स ऑफिस से इतर सोच कर रचनात्मक फिल्में बनाईं.
ऋतुपर्णो घोष को सबसे पहले 1994 में आई बाल फिल्म `हिरेर अंगति’ के बाद प्रसिद्धि मिली. इसके बाद उन्होंने बांग्ला और हिंदी में कई बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन किया. उनकी प्रमुख फिल्मों में उनीशे अप्रैल, दहन, असुख, बारीवाली, अंतरमहल, नौकादुबी, अबोहोमन इत्यादि रहीं. इसके अलावा उन्हें चोखेर बाली, रेनकोट और द लास्ट लीयर जैसी फिल्मों के लिए भी बहुत ख्याति प्राप्त हुई.
ये घोष के निर्देशन का ही जादू था कि उनकी लगभग हर फिल्म को किसी न किसी राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया. उन्हें कुल 12 बार राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त हुए. उनकी फिल्मों में ऐसे मानवीय रिश्तों और संवेदनाओं को उकेरा गया जिन्हें कोई अन्य निर्देशक सामने नहीं लाया. ऋतुपर्णो घोष का अकस्मात निधन निश्चय ही फिल्म जगत के लिए ऐसी क्षति है जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा.