‘केन्द्र में नरेन्द्र, म’राष्ट्र में देवेन्द्र’
मुंबई | विशेष संवाददाता: देवेन्द्र फड़णवीस महाराष्ट्र के पहले भाजपाई मुख्यमंत्री होंगे. मंगलवार को मुंबई में भाजपा विधायक दल की बैठक में केवल आधे घंटे के अंदर यह तय हो गया. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के समय से ही यह नारा सुनने में आ रहा था कि केन्द्र में नरेन्द्र, महाराष्ट्र में देवेन्द्र. जिसका तात्पर्य है कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद महाराष्ठ्र में देवेन्द्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री बनाया जाये.
देवेन्द्र फड़णवीस वर्तमान में भाजपा की महाराष्ट्र ईकाई के अध्यक्ष हैं. फड़णवीस 31 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित पार्टी के केंद्रीय नेताओं राजीव प्रताप रूडी, ओ.पी. माथुर और जे.पी. नड्डा की मौजूदगी में राज्य के 121 भाजपा विधायकों ने फड़णवीस को पार्टी विधायक दल का नेता चुन लिया. शरद पवार के बाद फड़णवीस महाराष्ट्र के दूसरे सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री होंगे. वह मात्र 44 वर्ष की उम्र में राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.
बैठक में एकनाथ खड़से ने ही फड़णवीस के नाम का प्रस्ताव रखा जिस पर सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से मुहर लगा दी.
गौरतलब है कि एकनाथ खड़से को भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में माना जा रहा था. खड़से के अलावा मुख्यमंत्री पद के अन्य दावेदारों में विनोद तावड़े, सुधीर मुंगनतिवार और दिवंगत पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने भी फड़णवीस के नाम पर सहमति जताई.
देवेन्द्र फड़णवीस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे फड़णवीस 22 वर्ष की अवस्था में पहली बार 1992 में नागपुर के भाजपा से पार्षद चुने गए. फड़णवीस न सिर्फ नागपुर के सबसे युवा पार्षद बने, बल्कि उनके नाम देश के दूसरे सबसे युवा पार्षद चुने जाने की उपलब्धि भी है.
आरएसएस के गढ़ नागपुर में 1970 में जन्मे फड़णवीस ने राजनीति में देर से प्रवेश किया, लेकिन पार्टी में उनकी तरक्की बेहद तेज रही. मराठा पहचान के इर्द-गिर्द सिमटी महाराष्ट्र की राजनीति में फड़णवीस अपनी जातीय पहचान को दबाकर ही रखते हैं. फड़णवीस का कहना है, “महाराष्ट्र इस तरह की चीजों से बाहर निकल चुका है. आज का युवा विकास और तरक्की चाहता है.”
उन्होंने अपने विधायक पिता गंगाधर आर. फड़णवीस और विदर्भ हाउसिंग क्रेडिट सोसायटी की निदेशक रहीं अपनी मां सरिता से राजनीति का ककहरा सीखा. नागपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी और डी.एस.ई. बर्लिन से प्रबंधन में परास्नातक की शिक्षा प्राप्त करने वाले फड़णवीस 2002-03 में सर्वश्रेष्ठ सांसद चुने गए.
राजनीतिक कामयाबी
फड़णवीस को उनकी क्षमता देखते हुए 2013 के मध्य में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वह सबसे कम उम्र में इस पद पर बैठे. फड़णवीस के पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी ने ‘मोदी लहर’ का पूरा लाभ उठाते हुए राज्य की 48 सीटों में से 23 पर जीत हासिल की.
विधानसभा चुनाव के लिए मोदी की रैलियों के अतिरिक्त फड़णवीस ने राज्य में 100 से अधिक चुनावी रैलियां कीं और पार्टी का बड़ा चेहरा बनकर उभरे.
बात के पक्के,फड़णवीस
भाजपा के एक नेता ने कहा, “फड़णवीस सभी का सम्मान करते हैं और उन्होंने किसी के साथ कोई गड़बड़ी नहीं की… वह अपने साथी पार्टी सदस्यों से सुझाव लेते हैं, लेकिन अपने विवेकानुसार ही काम करते हैं. वह बहुत ही धैर्यशील व्यक्ति हैं और हर तरह का तनाव झेल सकते हैं.” पार्टी के अंदर फड़णवीस को अपनी बात पर टिके रहने वाले नेता के तौर पर और आर्थिक एवं वाणिज्यिक मामलों के विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता है. फड़णवीस ने प्रखर वक्ता के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है.
पहली बार भाजपा का मुख्यमंत्री
राज्य के 62 वर्षो के इतिहास में ऐसा दूसरी बार होगा, जब यहां गैर कांग्रेसी सरकार बनेगी. मनोहर जोशी तथा बाद में नारायण राणे के नेतृत्व में 1995-99 के बीच शिव सेना तथा भाजपा की गठबंधन सरकार महाराष्ट्र में राज कर चुकी है.
बम्बई स्टेट को एक मई, 1960 को दो भागों में विभाजित कर महाराष्ट्र तथा गुजरात राज्य बनाया गया था. तत्कालीन बम्बई स्टेट के पहले मुख्यमंत्री बी.जी.खेर थे, जिन्होंने 15 अगस्त, 1947 से 21 अप्रैल, 1952 तक शासन किया.
उसके बाद मोरारजी देसाई पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने 21 अप्रैल, 1952 से 31 अक्टूबर, 1956 तक शासन किया. 1977-78 के बीच देसाई भारत के प्रधानमंत्री भी बने.
अब तक के कार्यक्रम के अनुसार देवेन्द्र फड़णवीस 31 अक्टूबर को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में पद तथा गोपनीयता की शपथ लेगें. उनके शपथ ग्रणह समारोह में प्रधानमंत्री मोदी के आने की संभावना है. इसके अलावा करीब 30हजार लोग भी उनके शपथ ग्रहण समारोह के समय वहां उपस्थित रहेंगे.