नोटबंदी से वियना संधि का उल्लंघन
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: नोटबंदी से ‘वियना संधि’ तथा ‘अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति सिद्धांतों’ का उल्लंघन हो रहा है. भारत स्थित विदेशी दूतावासों के लिये भी नगदी की निकासी की सीमा तय किये जाने पर 157 देशों के विदेशी मिशनों का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉमिनिक गणराज्य के राजदूत फ्रैंक हैंस डैनेनबर्ग कैस्टेलानोज ने यह बात कही. दरअसल, नोटबंदी के बाद से नगदी की समस्या से निपटने के लिये भारत में हर बैंक अकाउंट से नगदी की निकासी की सीमा तय कर दी गई है. हर विदेशी दूतावासों को सप्ताह में 50 हजार रुपये नगद निकालने की अनुमति दी गई है.
गौरतलब है कि इससे पहले रूस के राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन ने भी इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है.
रूस के राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन ने भारतीय विदेश मंत्रालय को लिखा था कि 50 हजार की रकम बहुत कम है, इसमें उन्हें अधिकारियों की पगार से लेकर दूतावास में होने वाले रोज के खर्च भी निपटाने हैं. उनके मुताबिक इतने कम पैसों में तो कोई अधिकारी एक ढंग का डिनर तक नहीं कर सकता.
डॉमिनिक गणराज्य के राजदूत फ्रैंक हैंस डैनेनबर्ग कैस्टेलानोज ने कहा, “यह तथ्य कि हम अपने बैंक खातों में जमा अपनी ही राशि तक पहुंच नहीं बना सकते और यह विएना संधि एवं अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है. यह काफी राजदूतों की मुख्य चिंता है.” उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह 50 हजार रुपये की निकासी की सीमा हटायी जानी चाहिये.
Vienna Convention on Diplomatic Relations- 1961
157 देशों के विदेशी मिशनों का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉमिनिक गणराज्य के राजदूत फ्रैंक हैंस डैनेनबर्ग कैस्टेलानोज ने कहा कि भारत की पाबंदी से कई दूतावास निराश हैं और वे अपने देशों में भारतीय राजनयिकों के खिलाफ ऐसे ही कदमों की संभावना पर विचार कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह उम्मीद भी जतायी कि मुद्दे का जल्द ही समाधान हो जाएगा और विदेशी सरकारों द्वारा ऐसी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी.
कैस्टेलानोज से कहा, “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सभी सरकारें ऐसा करेंगी लेकिन ऐसी सरकारें हो सकती हैं जो अपने देशों में भारतीय राजनयिकों के साथ ऐसा ही करने की संभावना का अध्ययन कर रही हों.”
उन्होंने कहा कि वह केवल 157 मिशनों के आम विचार और सरकार की प्रतिक्रिया की कमी को लेकर उनकी निराशा व्यक्त कर रहे हैं. कैस्टेलानोज ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीफ ऑफ प्रोटोकॉल को पत्र लिखकर नोटबंदी अभियान के मद्देनजर नकदी निकासी पर सीमा लगाने को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है.
कैस्टेलानोज ने कहा, “मेरा मानना है कि आखिर में निर्णय उन्हें (प्रधानमंत्री को) करना है. उन्हें निर्णय करना है कि राजनयिकों को अपने खातों से बड़ी राशि निकालने की शक्ति होगी या नहीं.”
यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ देश वास्तव में ऐसे ही कदम उठा सकते हैं, उन्होंने कहा, “वे कहते हैं कि वे अपने मंत्रालयों से ऐसा करने की संभावना के बारे में चर्चा कर रहे हैं.” जाहिर है कि नोटबंदी से भारत स्थित विदेशी दूतावास भी प्रभावित हुये हैं तथा उन्हें अपने रोजमर्रा के कामों को संचालित करने में असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.