राष्ट्र

नोटबंदी से मराठा रैली फेल

नागपुर | समाचार डेस्क: नागपुर की मराठा रैली में 10 लाख लोग शामिल हुये. मराठा आंदोलन के नेताओं को उम्मीद थी कि बुधवार को नागपुर में आयोजित मराठा रैली में 50 लाख से 1 करोड़ मराठा शामिल होंगे. मराठा रैली के आयोजकों का मानना है कि नोटबंदी के कारण मराठा रैली में कम लोग आये.

मराठा मीडिया सेल के संजय तांबे पाटिल स्वीकार करते हैं कि उऩकी नागपुर रैली फ्लॉप शो में बदल गई है. हालांकि, किसी भी रैली में 10 लाख लोग आना भी भारत जैसे विशाल देश में बड़ी बात मानी जाती है लेकिन मराठा रैली के आयोजकों को उम्मीद थी कि इस रैली के माध्यम अब तक की सर्वाधिक भीड़ जुटेगी.

संजय तांबे पाटिल ने बीबीसी को बताया, “इसकी एक वजह थी नोटबंदी और पैसों की भारी कमी. औरंगाबाद में 16 लाख आबादी पर केवल 6 एटीएम हैं और हर एटीएम के बाहर 300 लोगों की क़तार लगी है.”

गौरतलब है कि पिछले महीने दिल्ली की मराठा रैली को नोटबंदी के कारण आ रही समस्या के कारण रद्द कर दिया गया था.

मराठा आंदोलन की शुरुआत 13 जुलाई को अहमदनगर के एक गाँव कोपरडी में हुई एक गंभीर घटना से हुई थी. पुणे शहर से 125 किलोमीटर दूर कोपरडी गाँव में एक मराठा लड़की के बलात्कार और ह्त्या के खिलाफ विरोध ने एक जन आंदोलन की शक्ल ले ली थी. अब तक 40 जगहों पर मोर्चे निकाले जा चुके हैं.

मराठा आंदोलन क्यों?

मराठा आंदोलन के मूल में क्या है?

महाराष्ट्र में मराठा मोर्चा क्यों?

महाराष्ट्र की कुल आबादी का 35 फीसदी मराठा हैं. वे अब सरकारी नौकरियों में आरक्षण मांग रहें हैं. हालांकि, मराठा आंदोलन की शुरुआत रेप के खिलाफ हुई थी परन्तु बाद में कृषि संकट से उपजे मांगों को भी इसमें शामिल कर लिया गया था.

महाराष्ट्र के मराठा उभार को देखकर राजनीतिक विश्लेषक भी दंग है कि बिना राजनीतिक नेतृत्व के किस तरह से मराठे अनुशासित ढ़ंग से लाखों की संख्या में शांतिपूर्ण रैलियां आयोजित कर रहें हैं.

हर रैली में पिछले रैली की तुलना में भागीदारी बढ़ी है. बहरहाल, नोटबंदी से नागपुर रैली को फेल माना जा रहा है परन्तु मराठाओं के दिलों में सुलगती आग अभी ठंडी हो गई है इसे मानना भूल होगी.

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