बैंकों को डूबने से बचाने नोटबंदी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के माकपा नेता धर्मराज महापात्र ने कहा बैंकों को डूबने से बचाने के लिये नोटबंदी का फैसला लिया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि पूंजीपतियों द्वारा लिये गये कर्जों के कारण बैंकों को डूबने से बचाने के लिए ही नोटबंदी का फैसला किया गया, ताकि आम जनता की बचत से बैंकों को बचाया जा सके. माकपा नेता धर्मराज महापात्र ने कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकर जिस तरह से रोज फैसले बदल रही है, उससे स्पष्ट है कि रिज़र्व बैंक की स्वायत्तता को ही पूरी तरह से ख़त्म किया जा रहा है और ऐसा होना देश की अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती है.
जनआक्रोश दिवस पर वामपंथी पार्टियों ने कहा कि कालाधन निकालने के नाम पर देश को मंदी में ढ़केल दिया गया है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्टेट बैंक मुख्यालय के सामने प्रदर्शन करते हुये छत्तीसगढ़ की वामपंथी पार्टियों ने नोटबंदी पर जमकर मोदी सरकार को कोसा.
छत्तीसगढ़ माकपा के सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया कि देश में बड़े पूंजीपतियों और कारपोरेटों के पास 500 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा का काला धन है, जिसका एक बड़ा हिस्सा उन्होंने विदेशी बैंकों में छुपा रखा है. इस धन को देश में वापस लाने के बजाये देश की 125 करोड़ जनता को ही मोदी सरकार ने ‘नोट वापसी की कतार’ में खड़ा कर दिया है.
उन्होंने कहा की मात्र 1 लाख करोड़ रूपये की ‘काली मुद्रा’ को निकालने के लिए देश की अर्थव्यवस्था को 1.5 करोड़ रुपयों की चोट पहुंचाना और देश को मंदी में धकेलने का काम वही सरकार कर सकती है, जिसके सरोकार केवल कारपोरेटों के मुनाफे को सुनिश्चित करना ही रह गया हो.
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के जनकलाल ठाकुर ने मोदी सरकार पर पूरी बैंकिंग व्यवस्था का निजीकरण करने का आरोप लगाते हुये कहा कि विकीलीक्स, सहारा-बिड़ला डायरी, पनामा पेपर्स औए स्विस बैंक ने जिनके नोटों पर काला धन होने की छाप लगाईं है, उन पर तो हाथ डालने में मोदी थरथरा रहा है, लेकिन अब ‘बेनामी अंतरण’ पर कार्यवाही का नया शिगूफा छोड़ रहा है.
वामपंथी नेता ब्रिजेन्द्र तिवारी ने बताया कि मोदी सरकार के दावों के विपरीत मुद्रा-संकुचन लंबे समय तक बने रहने वाला है, क्योंकि जितने नोटों को चलन से बाहर किया गया है, उतने मूल्य के नये नोट छापने में तीन साल लगेंगे.
वहीं, भाकपा के सीआर बख्शी ने कहा कि काले धन को निकालने का दावा करने वाली सरकार चोरों को संरक्षण देने वाली सरकर साबित हुई है, जिसने हाल ही में माल्या जैसे बड़े बकायादारों का कर्जा माफ़ कर दिया है.