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दिल्ली पुलिस की दुर्दशा

नई दिल्ली | एजेंसी:इन दिनों दिल्ली पुलिस तथा उनके परिवारों का हाल बेहाल है. दिल्ली के लोगों को बेखौफ होने का अहसास देने के लिए 24 घंटे लगातार सेवा देने वाले पुलिसकर्मियों को परिवार के साथ रिहाइश के लिए एक सुरक्षित ठिकाना मयस्सर नहीं है. वे अपने घर में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं.

पश्चिमी दिल्ली के द्वारका इलाके में सरकारी मकान में रहने वाले दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी मकान की छत का टुकड़ा गिर जाने से गंभीर रूप से घायल हो गए. उनका अंग टूट गया है और उन्हें लंबे समय तक अवकाश लेकर इलाज कराना पड़ेगा.

लेकिन यह अकेला मामला नहीं है.

द्वारका के सेक्टर 13 में अपने क्वार्टरों की जर्जर हालत से दुखी दिल्ली पुलिस के 68 अधिकारी जिनमें सहायक उपनिरीक्षक, हेड कांस्टेबल और कास्टेबलों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

उनकी अर्जी पर ध्यान देते हुए न्यायमूर्ति मनमोहन ने पुलिसवालों के रिहाइशी फ्लैटों का जायजा लेने के लिए एक समति का गठन करने का आदेश दिया है और उनके अविलंब मरम्मत या पुननिर्माण सुनिश्चित करने के लिए कहा है.

न्यायालय ने यह भी कहा है कि यदि पुलिसकर्मियों के प्रति उच्चाधिकारियों का यही उपेक्षापूर्ण रवैया कायम रहा तो वे प्रभावी ढंग से और क्षमता के मुताबिक कर्तव्य का निर्वाह नहीं कर सकेंगे.

उन्होंने कहा, “एक बेहतर और सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराना राज्य का कर्तव्य बनता है.”

उच्च न्यायालय ने कहा है कि समिति में लोकनिर्माण विभाग, दिल्ली पुलिस आयुक्त और दक्षिणी दिल्ली महापालिका के आयुक्त, दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ और दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष या फिर उनके नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे.

इन घरों में बिजली के तार भी झूल रहे हैं जिससे पुलिसकर्मी और उनके परिवार के सदस्य खतरे में रहते हैं.

याचिककर्ताओं ने यह भी कहा है कि इन घरों को रहने लायक बनाने के लिए उन्हें समय-समय पर भारी खर्च करना पड़ा है.

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