pk पर उच्च न्यायालय की मुहर
नई दिल्ली | मनोरंजन डेस्क: विवादास्पद फिल्म ‘पीके’ पर दिल्ली उच्च न्यायालय की मुहर लग गई है कि इसमें आपत्तिजनक कुछ भी नहीं है. इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आर. एस. एंडलॉ की खंडपीठ ने पूछा है कि फिल्म में गलत क्या है? उल्लेखनीय है कि फिल्म ‘पीके’ के खिलाफ याचिका दायर करनेवाले गौतम का तर्क था कि फिल्म में देवी-देवताओं का मजाक बनाया गया है. दिल्ली उच्च न्यायालय के द्वारा फिल्म ‘पीके’ के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर देने से इस बात को बल मिलता है कि यह महज एक फिल्म है तथा इसका उद्देश्य किसा धर्म का मजाक उड़ाना नहीं है. इससे पहले खबर आई थी कि फिल्म सेंसर बोर्ड के एक सदस्य ने फिल्म ‘पीके’ के कुछ दृश्यों पर आपत्ति दर्ज करवाई थी जिससे इसका विरोध करने वालों को नई ऊर्जा मिली थी.
अब, दिल्ली उच्च न्यायालय के द्वारा 7 जनवरी को याचिका को खारिज कर देने से फिल्म ‘पीके’ का विरोध करने वालों का यह तर्क कि इसमें देवी-देवताओं का मजाक उड़ा गया है काफूर हो गया है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्देशक राजकुमार हिरानी की हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘पीके’ के खिलाफ दायर जनहित याचिका बुधवार को खारिज करते हुए कहा कि आमिर खान अभिनीत इस फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आर. एस. एंडलॉ की खंडपीठ ने उस जनहित याचिका की सुनवाई करने से मना कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि फिल्म में हिंदुओं की आस्था, विश्वास, देवताओं और पूजा-अर्चना का अपमान किया गया है, इसलिए फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगना चाहिए.
खंडपीठ ने कहा, “फिल्म में गलत क्या है? हमने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया है. हमें नहीं लगता कि याचिका का कोई अर्थ है.”
न्यायालय ने कहा कि वह बाद में याचिका पर विस्तृत आदेश पारित करेगी.
‘पीके’ के खिलाफ अपील करने वाले याचिकाकर्ता गौतम का तर्क है कि फिल्म में हिंदू देवताओं का मजाक बनाया गया है और फिल्म भगवान शिव के बारे में गलत संदेश देती है.
गौतम ने कहा, “हिंदू पूजा-अर्चना की फिल्म में बेहद अनुचित तरीके से आलोचना की गई है.”
इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल संजय जैन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा ही एक मामला पहले भी सर्वोच्च न्यायालय के पास आ चुका है, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था. फिल्म ‘पीके’ का विरोध शुरु होने के बाद लोग केन्द्र सरकार के रुख का इंतजार कर रहे थे. अब केन्द सरकार के अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल संजय जैन द्वारा इस याचिका का विरोध किये जाने से साफ है सरकार ‘पीके’ का विरोध करने वालों के साथ नहीं है.