दिल्ली चुनाव बाहरियों के भरोसे
नई दिल्ली | एजेंसी: ऐसा लगता है कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव बाहरी प्रचारकों के भरोसे लड़ा जा रहा है. कांग्रेस को छोड़कर भाजपा तथा आप ने दिगर राज्यों से हजारों कार्यकर्ताओं को दिल्ली बुलाया जो विभिन्न स्थानों पर पार्टी का मोर्चा संभाले हुए हैं. दिल्ली में इन दिनों चुनाव प्रचार चरम पर है. प्रचारकों में कोई सफेद तो कोई केसरिया टोपी पहने दिखते हैं. ये सभी दिल्ली के निवासी नहीं, बल्कि इनमें से हजारों बाहर से आए हुए हैं.
आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के समर्थक इन दिनों दिल्ली में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं. इनमें देश के विभिन्न भागों से यहां इसी काम से आए हुए हजारों लोग हैं जो अपनी-अपनी पार्टी के लिए ‘करो या मरो’ का जज्बा लिए जूझ रहे हैं.
ऐसे लोगों को छात्रों, चिकित्सकों, अभियंताओं, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और यहां तक कि दिहाड़ी पर अपनी जिंदगी की गाड़ी खींचने वाले श्रमिकों से या तो भाजपा के लिए या आप के लिए समर्थन मांगते देखे जा सकते हैं.
शनिवार को होने जा रहे युद्ध में संख्या की दृष्टि से आप के अरविंद केजरीवाल भाजपा को दरकिनार करने के कगार पर दिखते हैं. दोनों पार्टियां एक दूसरे को किनारे करने पर अमादा दिखाई दे रही है.
दिल्ली से बाहर से आए भाजपा के अधिकांश प्रचारकों की संख्या 15000 होने का अनुमान जाहिर किया जा रहा है. ऐसे प्रचारक गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से आए हैं.
दूसरी तरफ आप की 20,000 मजबूत सेना में हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक से आए स्वयंसेवियों का जत्था है.
बाहर से आए ऐसे कार्यकर्ता दोस्तों, रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं. जिनके पास ऐसी सुविधा नहीं है, वे भाजपा और आप के दफ्तरों में डेरा जमाए हुए हैं. ऐसे कार्यालय यहां के 70 विधानसभाओं में फैले हुए हैं.
अलस्सुबह ऐसे स्वयंसेवियों का जत्था उन्हें सौंपे गए विधानसभाओं में समर्थन जुटाने के लिए दौड़ पड़ते हैं. उन्हें दिल्ली मेट्रो स्टेशनों के बाहर और भीड़ वाली अन्य जगहों पर पर्चे और टोपी बांटते देखा जा सकता है.
भाजपा प्रचारक केसरिया टोपी में दिखते हैं. आप की टोपी सफेद है. दोनों की टोपी पर उनकी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह अंकित है. भाजपा का चुनाव चिन्ह ‘कमल’ और आप का चुनाव चिन्ह ‘झाड़ू’ टोपी पर छपा है.
बेंगलुरू से आए हुए एक अभियंता अमिताभ गोस्वामी एक सप्ताह से दिल्ली में हैं. वह और उनके दोस्त दिल्ली विश्वविद्यालय के समीप मुखर्जी नगर में एक दोस्त के घर में ठहरे हुए हैं. वह देश की राजधानी को भ्रष्टाचार मुक्त देखना चाहते हैं, इसलिए आप के पूर्व विधायक अखिलेशपति त्रिपाठी के लिए प्रचार में जुटे हैं.
गोस्वामी ने कहा कि सभी एक ही कंपनी में अभियंता हैं और अभी इस समय अवकाश पर हैं.
आप के पंजाब समन्वयक सुच्चा सिंह छोटेपुर ने कहा कि दिल्ली में आप के 20,000 से ज्यादा स्वयंसेवी जुटे हुए हैं.
पंजाब से 1500 से ज्यादा स्वयंसेवी आप के प्रत्याशियों की मदद कर रहे हैं. उनमें से अधिकांश पार्टी कार्यालय में और पार्टी नेताओं के घरों में टिके हुए हैं.
आप के पंकज सिंह ने कहा, “हम में से चार सौ मध्य प्रदेश से आए हैं.” उन्होंने आगे बताया कि 62 स्वयंसेवी छत्तीसगढ़ से आए हैं और कृष्णा नगर में ठहरे हुए हैं. इस क्षेत्र से भाजपा की मुख्यमंत्री प्रत्याशी किरण बेदी चुनाव लड़ रही हैं.
दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना ने कहा कि उनकी पार्टी के स्वयंसेवी अपने खर्च पर ठहरे हुए हैं.
उन्होंने कहा, “यहां संघर्ष करने वालों में हमारे पास किसान, चिकित्सक, वकील, व्यापारी और गरीब लोग हैं.”
भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश के बागपत बलवंत सिंह और तीन रिश्तेदार आए हैं.
आप के पंजाब से जीते चार सांसद और इसके मुकाबले भाजपा के 120 सांसद दिल्ली में प्रचार में जुटे हुए हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार के कई मंत्री और दूसरे राज्यों से आए कुछ मुख्यमंत्री और पार्टी नेता भी शामिल हैं.
अपनी प्रासंगिकता बचाने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस ने कहा कि उसे बाहर से स्वयंसेवियों को बुलाने की जरूरत नहीं दिखती.
पार्टी के नेता मुकेश शर्मा ने कहा, “हमारी पार्टी को बाहर से समर्थन की जरूरत नहीं दिखती.”
शनिवार को मतदाता 70 विधानसभाओं में भाग्य आजमा रहे 673 प्रत्याशियों में से अपनी पसंद जाहिर करेंगे जिसका फैसला 10 फरवरी को सामने आएगा.
2013 के चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा बनी थी जिसमें भाजपा को सर्वाधिक 31 सीटें मिलीं और आप 28 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर आई. कांग्रेस 43 सीटों से घटकर इस चुनाव में 8 सीटों पर रह गई. बाद में कांग्रेस के समर्थन से आप की 49 दिनों तक चलने वाली सरकार बनी थी. केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ और अब फिर से चुनाव कराया जा रहा है.