दिल्ली चुनाव में हार का असर सीमित
वाशिंगटन | समाचार डेस्क: अमरीकी विशेषज्ञो का मानना है कि दिल्ली विधानसभा में भाजपा की हार का भारत के विदेश तथा व्यापार नीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. अमरीकी जानकारों का मानना है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत का प्रभाव सीमित रहेगा. इससे मोदी सरकार के द्वारा शुरु किये गये आर्थिक सुधारों पर कोई विपरीत असल नहीं पड़ने जा रहा है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी की भारी जीत से देश की विदेश और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. अमरीकी विशेषज्ञ ने यह बात कही है.
विदेश संबंध परिषद में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया की विशेषज्ञ एलिसा आयर्स के मुताबिक, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पिछली बार खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश के खिलाफ आपत्ति जताई थी. इसलिए यह कोई मुद्दा नहीं रहेगा.
उनका बाकी का अभियान बुनियादी ढांचागत और सुशासन जैसे घरेलू मुद्दों पर केंद्रित था, जिसका दिल्ली से बाहर बहुत कम संबंध है.
उन्होंने कहा, दिल्ली नतीजों का मुख्य प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के प्रदर्शन पर पड़ेगा. विदेशी और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों से संबंधित मुद्दों पर इसका प्रभाव बहुत ही सीमित हो सकता है.
आर्थिक सुधारवादी नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ रही प्रतिस्पर्धा भारत की राजनीति का मुख्य केंद्र बिंदु रहा है. आयर्स के मुताबिक आप की भारी बहुमत से जीत से ऐसा लगता है कि भारत में अभी भी लोक-लुभावन चीजें मौजूद हैं.
आयर्स के मुताबिक एक मात्र राज्य में मिली हार के कारण मोदी सरकार अपनी आर्थिक नीतियों में परिवर्तन करेगी, इसका कोई खास कारण नजर नहीं आता. विशेष रूप से ऐसे समय में जब उनकी सुधार नीतियां अभी भी पूर्ण नजर आती हैं और भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार का काम अभी सिर्फ शुरू ही हुआ है.
“इसलिए यदि दिल्ली के परिणामों का कोई स्पष्ट प्रभाव है तो वह फरवरी के अंत में पेश होने वाले बजट में भारत अंतर्राष्ट्रीय पहलुओं को स्पर्श करने के भारत के तरीके से या विश्व में अपनी भूमिका को समझने के उसके तरीके से पता चल जाएगा.”
लेकिन यदि बिहार चुनाव में भी समान नतीजे सामने आते हैं तो इससे जरूर भाजपा की राष्ट्रीय विकास पर आघात पहुंचेगा.