वन अमला तोता-तोता खेलता रहा, विदेशी जीवों के पंजीयन की सीमा समाप्त
रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ का वन विभाग राज्य भर में तोता-तोता खेलता रह गया लेकिन विदेशी पक्षियों और जीवों को लेकर ज़रुरी आदेश निकालने की फुर्सत किसी को नहीं मिली.
राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यप्राणी भी सोते रह गये.
इसके लिए केंद्र सरकार ने 28 अगस्त की समय सीमा तय की थी.
लेकिन घरों के तोते जमा करवाने के मनमाने निर्देश में छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अफ़सर इतने मशगूल रहे कि विदेशी पक्षियों को लेकर सूचना जारी करने की समय सीमा भी निकल गई.
हालत ये है कि वन विभाग के कई अफ़सरों को भी केंद्र सरकार के इस अधिसूचना का पता नहीं चला.
क्या था आदेश
इस साल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 28 फरवरी 2024 के राजपत्र अधिसूचना के तहत धारा 49 एम के तहत जीवित पशु प्रजातियां (रिपोर्टिंग और पंजीकरण) नियम, 20254 को अधिसूचित किया था.
इसके तहत अधिसूचना जारी होने के 6 महीने के भीतर, वन्य जीव संरक्षण (अधिनियम), 1972 के तहत सूचीबद्ध विदेशी पक्षियों, जीवों का विवरण और उसका पंजीकरण करवाना ज़रुरी था.
इलेक्ट्रॉनिक रूप से संबंधित राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन को राजपत्र अधिसूचना जारी होने के छह महीने के भीतर और या ऐसी पशु प्रजातियों के कब्जे के तीस दिनों के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना आवश्यक था.
इसकी समय सीमा 28 अगस्त 2024 को ख़त्म हो गई.
लेकिन राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव को इस बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक करने या जनता तक इस जानकारी को साझा करने की फुर्सत ही नहीं मिली.
अब आगे क्या
कई तरह की विदेशी प्रजातियों को भारत में आयात किया जाता है और उचित पंजीकरण के बिना उन्हें कैद में पाला जाता है.
वन पर्यावरण मंत्रालय केअनुसार इस पर विचार करते हुए, मंत्रालय ने जून, 2020 में विदेशी जीवित प्रजातियों के स्वैच्छिक प्रकटीकरण के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसका उद्देश्य स्वैच्छिक प्रकटीकरण के माध्यम से राज्य/केंद्र स्तर पर विदेशी जीवित प्रजातियों के भंडार की एकीकृत सूचना प्रणाली बनाना और उस डेटाबेस का उपयोग, जूनोटिक रोगों के नियंत्रण और प्रबंधन के लिए करना और प्रजातियों के बेहतर प्रबंधन की सुविधा प्रदान करना और उनके धारकों को उनकी उचित देखभाल और कल्याण के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना है.
इसके बाद इस साल 28 फरवरी, 2024 के राजपत्र अधिसूचना के द्वारा धारा 49 एम के तहत जीवित पशु प्रजातियां (रिपोर्टिंग और पंजीकरण) नियम, 2024 को अधिसूचित किया गया.
अब जिनके भी पास विदेशी प्रजाति के पक्षी या जीव हैं, उनके ख़िलाफ़ वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत जुर्माना या जेल, या दोनों की कार्रवाई हो सकती है.
तोता-तोता खेलने में मशगूल वन विभाग
तोता पालना या उसका व्यापार पहले से ही प्रतिबंधित है.
लेकिन पाले हुए तोते को जमा करवाने का कोई प्रावधान नहीं है.
प्रक्रिया यही होती है कि इसके व्यापार पर रोकथाम लगे.
बाज़ार में खुलेआम तोता समेत अन्य प्रतिबंधित प्रजातियों के पक्षियों, जीवों की ख़रीद-बिक्री करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की फुर्सत तो वन विभाग को नहीं मिली.
लेकिन बिलासपुर के वन विभाग ने आनन-फानन में आम लोगों को सप्ताह भर के भीतर अपने तोते कानन पेंडारी में जमा करवाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया.
इसकी देखा-देखी राज्य के दूसरे जिलों के अफसरों ने भी आदेश जारी कर दिया.
बस्तर से लेकर बिलासपुर तक लोगों ने अपने तोते वन विभाग के पास जमा करवाने शुरु कर दिए.
लोग परेशान हुए तो मामला राजनीतिक दलों तक पहुंचा. पता चला कि नेताओं से लेकर वन विभाग के अफ़सरों तक के घरों में तोते हैं.
फिर शीर्ष अफ़सरों ने इस फरमान को जारी करने वाले अफ़सरों से नियम-कायदे की जानकारी ली तो उनके हाथ के तोते उड़ गए.
पता चला कि महज उत्साह-उत्साह में आदेश जारी कर दिया गया था.
जिस आनन-फानन में तोते को जमा करवाने का निर्देश विभाग ने जारी किया था, बुधवार को उतनी ही तेज़ी से फरमान वापस लेने का आदेश भी जारी कर दिया गया.