कन्या भ्रूण हत्या करने वाले भारत छोड़ों
रायपुर | संवाददाता: अंग्रेजों भारत छोड़ो के तर्ज पर 9 अगस्त को देश भर में कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ सामाजिक बुराई भारत छोड़ों का कार्यक्रम रखा गया है. 9 अगस्त को छुट्टी होने के कारण छत्तीसगढ़ सरकार ने निर्णय लिया है कि 8 अगस्त को राज्य के सभी शासकीय कर्मचारी कन्या भ्रूण हत्या रोकने तथा महिलाओं पर किये जाने वाले हिंसा के खिलाफ शपथ लेंगे.
ज्ञात्वय रहे कि 9 अगस्त के दिन ही अंग्रेजों भारत छोड़ों का नारा दिया गया था. जिसके कारण अंग्रेजों को आखिरकार भारत छोड़कर जाना पड़ा था.
छत्तीसगढ़ शासन के सभी स्तरों के शासकीय अधिकारी-कर्मचारी आगामी 08 अगस्त को भेदभावपूर्ण लिंग चयन एवं महिलाओं के विरूद्ध हिंसा समाप्त करने की शपथ लेगें. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने नया रायपुर स्थित मंत्रालय महानदी भवन में प्रदेश के सभी विभागों, राजस्व मंडल छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष, सभी विभागाध्यक्षों, संभागायुक्तों और कलेक्टरों को परिपत्र जारी कर दिया है.
गौरतलब है कि विगत दशक में देश के 27 राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों में बालक-बालिका अनुपात में गिरावट आयी है. बालक-बालिका अनुपात में गिरावट को रोकने के लिए ही 8 अगस्त को यह शपथ ली जाएगी.
केन्द्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में यह भी बताया गया है कि देश की जनगणना 2011 में यह चौंकाने वाला तथ्य आया है कि 0-6 वर्ष आयु वर्ग में प्रति 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या वर्ष 2001 में 927 से घटकर 914 रह गयी है.
बालक-बालिका अनुपात में तीव्र गिरावट जम्मू व कश्मीर, महाराष्ट्र, राजस्थान, मणिपुर, उत्तराखंड, झारखंड, मध्यप्रदेश एवं नागालैण्ड के साथ-साथ सिक्किम एवं अरूणाचल प्रदेश के पूर्वीत्तर राज्यों में दर्ज की गयी है, जो एक व्यापक राष्ट्रीय प्रवृत्ति को दर्शाती है, जो सभी वर्गों एवं ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में व्याप्त है.
सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि लोक प्रशासन के सभी स्तरों पर देश के कानूनों के क्रियान्वयन और बालक-बालिका अनुपात में गिरावट को रोकने में सरकारी कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है. अतएव देश के सभी स्तरों के सरकारी कर्मचारियों द्वारा 9 अगस्त, जिसे भारत के इतिहास में भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में याद किया जाता है, को मादा भ्रूण के लिंग चयन द्वारा गर्भपात को रोकने की शपथ ली जाएगी.
यह शपथ लिंग चयन द्वारा गर्भपात की सामाजिक बुराई को हमेशा के लिए ‘भारत से हटाने’ के लिए भारत के सरकारी कर्मचारियों के सामूहिक संकल्प का प्रतीक होगी.