मोदी सरकार में दलितों पर अत्याचार बढ़ा
नई दिल्ली | संवाददाता: दलित राष्ट्रपति के उम्मीदवार पर चाहे लाख बहस हो लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में दलितों पर अत्याचार लगातार बढ़ता जा रहा है. मोदी सरकार का सबका साथ सबका विकास का नारा कहीं पीछे छूटता नज़र आ रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार दलितों के हक़ में वादा तो करते हैं लेकिन ज़मीनी हक़ीकत कुछ और ही है.दलित अत्याचार के ये आंकड़े गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में सामने आये हैं.
दिलचस्प ये है कि एक तरफ पिछले तीन सालों में दलितों पर अत्याचार लगातार बढ़े हैं. इसके उलट सरकार के लिये राहत देने वाली बात ये है कि अनूसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज पंजीकृत मामलों में गिरावट दर्ज की गई है. गृह मंत्रालय के साल 2016-17 के वार्षिक प्रतिवेदन के अनुसार अऩुसूचित जाति के 673 लोगों की हत्या हुई थी. वहीं साल 2012 में 651, साल 2013 में 676, साल 2014 में 794 तथा साल 2015 में 813 की हत्या हुई थी. इस तरह से साल 2013 की तुलना में साल 2015 में हत्या के मामलों में 20.27 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
साल 2011 में अनुसूचित जाति के 1557 महिलाओं/ लड़कियों के साथ रेप हुआ था. जो साल दर साल क्रमशः बढ़ता गया. साल 2012 में 1576, साल 2013 में 2073, साल 2014 में 2388 तथा साल 2015 में 2541 के साथ रेप हुआ. इससे साफ है कि साल 2013 की तुलना में साल 2015 में रेप के मामलों में 22.58 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से साल 2014 से अनूसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज पंजीकृत मामलों में कमी दर्ज की गई है. दर्ज मामलों में साल 2013 की तुलना में साल 2015 में 132.72 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. अनूसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत साल 2011 में 11,342 मामले दर्ज हुये थे तथा साल 2012 में 12,576 मामले दर्ज किये गये.
साल 2013 में यह बढ़कर 13,975 का हो गया. लेकिन साल 2014 में इस अधिनियम के तहत 8,887 तथा तथा साल 2015 में 6,005 मामले ही दर्ज हुये हैं. इससे जाहिर होता है कि पुलिस अनूसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामले दर्ज करने में कोताही बरत रही है.
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित जाति के खिलाफ अन्य मामलों में बढ़ोतरी हुई है. साल 2011 में 14,958, साल 2012 में 14,164, साल 2013 में 16,797, साल 2014 में 27,017 तथा साल 2015 में 27,684 मामले दर्ज किये गये.